– जेसीइआरटी की ओर से शिक्षकों को दिया जा रहा है ऑनलाइन प्रशिक्षण संवाददाता, जामताड़ा, जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों को सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षा दी जायेगी. इसमें बच्चों को महापुरुषों के योगदान के बारे में बताया जाएगा कि समाज निर्माण में उन्होंने कैसे और क्या जिम्मेदारियां निभाई. इसी के साथ परिवार के नाना-नानी, दादा-दादी के बारे में भी बताया जायेगा. उन्होंने कैसे अपने जीवन में परिवार के लिए योगदान दिया. सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षण से कोशिश यह की जाएगी कि बच्चे सामाजिक जिम्मेदारी समझें और संस्कार के मामले में पारिवारिक भावनाओं से ओत-प्रोत हों. स्कूलों में सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षण के लिए जेसीइआरटी की ओर से शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य संकाय सदस्यों को सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षण पर क्षमता संवर्धन करना, बाल प्रतिकूलता को समझना और हर्ष जोहार पाठ्यचर्या पर उनकी समझ विकसित करना है. प्रशिक्षण में भाग लेने वाले संकाय सदस्यों ने न केवल आज के संदर्भ में सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षण के महत्व को समझा, बल्कि इसे अपने कार्यों और दायित्वों में समाहित करने के लिए प्रतिबद्धता भी व्यक्त की. सामाजिक भावनात्मक शिक्षा (एसइएल) एक ऐसी पद्धति है, जो सभी उम्र के छात्रों को अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने, उन भावनाओं को पूरी तरह से महसूस करने और दूसरों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करने में मदद करती है. सीखे गये व्यवहारों का उपयोग छात्रों को सकारात्मक, जिम्मेदार निर्णय लेने में मदद करने, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रूपरेखा बनाने और दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने के लिए किया जाता है. यह बच्चों को स्कूल, करियर और जीवन में सफल होने में मदद करता है. सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षण के पांच मुख्य कौशल हैं, आत्म-जागरुकता, सामाजिक जागरुकता, जिम्मेदार निर्णय लेना, आत्म-प्रबंधन और संबंध कौशल.
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