Home झारखण्ड जामताड़ा नारायणपुर प्रखंड कार्यालय में में हो रहा है भ्रष्टाचार या फिर आरटीआई का फैशन

नारायणपुर प्रखंड कार्यालय में में हो रहा है भ्रष्टाचार या फिर आरटीआई का फैशन

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नारायणपुर प्रखंड कार्यालय में  में हो रहा है भ्रष्टाचार या फिर आरटीआई का फैशन

नारायणपुर. सरकारी कार्यालय में हो रहे कार्यों की जानकारी के लिए लोग सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी लेने के लिए पत्राचार करते हैं. आरटीआई द्वारा लोग अपने आसपास के सरकारी दफ्तर में हो रहे भ्रष्टाचार या गबन की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन यहां तो अलग ही देखने को मिल रहा है. नारायणपुर प्रखंड कार्यालय से मनरेगा, आवास, पंचायती राज़, स्वच्छ भारत मिशन, आउटसोर्सिंग कर्मियों समेत अन्य चीजों की जानकारी के लिए राजधानी रांची, उपराजधानी दुमका से लेकर गिरिडीह, मधुपुर, देवघर और धनबाद जैसे स्थानों से लोग सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांग रहे हैं. इनसे दो ही चीजों का कयास लगाया जा सकता है कि या तो नारायणपुर प्रखंड के भ्रष्टाचार की जानकारी दूर बैठे लोग भी लेना चाह रहे हैं. ऐसा लोग तभी करते हैं जब उनके कानों तक यह बात पहुंचती है कि भ्रष्टाचार वाकई हो रहा है. दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि आरटीआई को अब लोग फैशन में शुमार कर रहे हैं. बहरहाल इन दिनों जिस कदर नारायणपुर प्रखंड कार्यालय में आरटीआई के मामले पहुंच रहे हैं, यह सोचने और समझने वाली बात है कि आखिर रांची, दुमका, धनबाद में बैठे लोग नारायणपुर प्रखंड के कार्यों की जानकारी क्यों लेना चाह रहे हैं? क्या सचमुच जिम्मेदार पदाधिकारी गलत करने के बाद उसपर पर्दा डालने की भरसक कोशिश करते हैं. अगर ऐसा नहीं तो आखिर लोग इस प्रखंड के कार्यों की जानकारी लेने की इतनी जरूरत महसूस क्यों कर रहे हैं. क्या इस प्रखंड के लोग रांची, दुमका, धनबाद जैसी जगह के लोगों से संपर्क में हैं और यहां हो रही करतूत के बारे में उन्हें अवगत करा रहे हैं और अपना चेहरा छुपा रहे हैं. जरूर इन सभी के पीछे यहां के लोकल लोगों का हाथ होगा, तभी जाकर रांची, धनबाद और देवघर जैसे स्थानों के लोग नारायणपुर प्रखंड कार्यालय के कार्यों की जानकारी लेने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अगर इस बात में तनिक भी सच्चाई है, तो जिम्मेदार पदाधिकारियों को इस पर विचार करना चाहिए. नारायणपुर प्रखंड के लोग मजदूरी करते हैं. उन्हें पदाधिकारियों पर भरपूर भरोसा होता है कि जो भी काम करेंगे उनके लिए वह सार्थक होगा. लेकिन अब इस तरह के मामले आ रहे हैं कि कहीं ना कहीं लोगों का विश्वास पदाधिकारियों से हट रहा है. जरूरत है कि लोगों का विश्वास बना रहे, इसके लिए पदाधिकारीगण पहल करें.

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