लोहरदगा में चिकित्सकों की कमी के कारण आम जनों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ

लोहरदगा, भंडरा, कुडू, कैरो, किस्को, पेशरार व सेन्हा सात प्रखंडों वाले इस जिले में स्वास्थ्य विभाग की पांच प्रखंडों में ही स्वास्थ्य सेवाएं संचालित हो रही हैं, जबकि शेष दो प्रखंड पेशरार का संचालन किस्को व कैरो का संचालन कुडू प्रखंड से किया जा रहा है

By Prabhat Khabar News Desk | October 13, 2023 1:42 PM
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गोपी / संजय, लोहरदगा :

लोहरदगा जिले में आमलोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दिशा में सरकार आये दिन करोड़ो रुपये खर्च कर रही है. इसके बावजूद जन-जन तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ जिले वासियों को नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि चार लाख 61 हजार 990 आबादी वाले जिले में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के कुल का 91 स्वीकृत पद के विरुद्ध 48 कार्यरत है व 43 रिक्त पड़े हैं. इस प्रकार देखा जाये, तो एक चिकित्सक के भरोसे 10 हजार से अधिक लोगों की जिम्मेदारी है. चिकित्सकों की कमी का फायदा झोला छाप डॉक्टर उठा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ कर कई मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं.

लोहरदगा, भंडरा, कुडू, कैरो, किस्को, पेशरार व सेन्हा सात प्रखंडों वाले इस जिले में स्वास्थ्य विभाग की पांच प्रखंडों में ही स्वास्थ्य सेवाएं संचालित हो रही हैं, जबकि शेष दो प्रखंड पेशरार का संचालन किस्को व कैरो का संचालन कुडू प्रखंड से किया जा रहा है. वही अति नक्सल प्रभावित पेशरार इलाके में जाने से चिकित्सक अक्सर कतराते हैं. कोई भी चिकित्सक अपनी सेवा नक्सलियों के गढ़ में देना नहीं चाहते. मजबूरन वैसे ग्रामीण इलाकों में पीड़ित मरीज या तो झोला छाप डॉक्टर या फिर झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं. और जीवन की गाढ़ी कमाई को खर्च करने के बावजूद भी असमय काल के गाल में समा रहे हैं.

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चार आयुष्मान योजना संचालकों के विरुद्ध गड़बड़ी का मामला उजागर

आयुष्मान योजना के तहत जिले में कुल 15 निबंधित निजी क्लिनिक संचालित है. वैसे लोहरदगा में पूर्व से दो चार निजी क्लिनिक संचालित हो रहे हैं, परंतु आयुष्मान योजना के लागू होने के बाद जिले में निजी अस्पतालों के खुलने का बाढ़ सी आ गयी है. तेजी से एक के बाद एक अस्पताल खुल रहे हैं. बताया जाता है कि आयुष्मान योजना में बड़े पैमाने पर घपलेबाजी हुई है. 15 निबंधित अस्पतालों में जांच के दौरान चार अस्पतालों के खिलाफ अनियमिताओं के उजागर होने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अनुशंसा की गयी है. सूत्रों की मानें, तो आयुष्मान योजना के तहत संचालित एक अस्पताल में लगभग चार करोड़ रुपये घपले का मामला है. इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा गया है. एक के विरुद्ध न्यायालय में मामला लंबित है. उसके अस्पताल को भी सील कर दिया गया है. लोहरदगा में स्थिति यह है कि बगैर डिग्री के लोग डाक्टर बन बैठे हैं. लेकिन प्रशासन मौन है.

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