किसानों की आय बढ़ाने में केसीसी योजना लाभदायक

किसानों को सस्ता और आसान ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार की नयी पहल: संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा बढ़ाकर 3 लाख से 5 लाख की गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | March 1, 2025 8:58 PM
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लोहरदगा. किसानों को सस्ता और आसान ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार की नयी पहल: संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा बढ़ाकर 3 लाख से 5 लाख की गयी. केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत के अन्नदाता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है. जिससे सरकार की कृषि विकास और उत्पादकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है. कृषि को दस प्रमुख विकासात्मक क्षेत्रों में शामिल किया गया है, जो भारत की आर्थिक प्रगति को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण इंजन है. केंद्रीय बजट 2025-26 घोषणाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर बजट के बाद वेबिनार आयोजित किया गया. उद्घाटन भाषण प्रधान मंत्री ने दिया और कृषि और किसान कल्याण विभाग के विभिन्न विभागों के सचिवों की अध्यक्षता में किया गया. इसका सीधा प्रसारण ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान लोहरदगा में किया गया. प्रतिभागियों में बैंकों के प्रतिनिधि, अग्रणी जिला प्रबंधक, निदेशक, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, डीडीएम नाबार्ड और लोहरदगा जिले के किसान शामिल थे. जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में भी बताया गया है कि 31 मार्च 2024 तक 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड केसीसी खाते हैं. अल्पकालिक ऋण जरूरतों को पूरा करके केसीसी योजना ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. केसीसी संशोधित ब्याज अनुदान योजना किसानों को चार प्रतिशत की प्रभावी रियायती ब्याज दर पर ऋण दे रही है. किफायती ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जमानत-मुक्त ऋण को 1.6 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया है. एक बड़े कदम के रूप में केंद्रीय बजट 2025-26 ने संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. सरकार ने पिछले दशकों में एमआइएस के माध्यम से किसानों को 1.44 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. इन पहलों के माध्यम से सरकार का लक्ष्य 2023-24 में कृषि अल्पकालिक ऋण को 9.81 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2029-30 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है. इन उपायों के ज़रिए सरकार न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की सुलभता बढ़ा रही है, बल्कि किसानों को वित्तीय स्वतंत्रता भी दे रही है.

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