
कुड़ू. बाल विकास परियोजना कार्यालय, कुड़ू द्वारा कुपोषित बच्चों की पहचान और उनके इलाज की दिशा में चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुक्रवार को समापन हो गया. प्रशिक्षण के अंतिम दिन ककरगढ़, चंदलासो, पंडरा, जिंगी, उडुमुड़ू एवं कुड़ू पंचायत की कुल 60 सेविकाओं और सहिया को प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान सीडीपीओ सानिया मंजुल ने सेविकाओं और सहिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रखंड में कोई भी कुपोषित बच्चा छूटना नहीं चाहिए. उन्होंने सभी को ईमानदारी से 11 बिंदुओं पर आधारित सर्वेक्षण पूरा करने का निर्देश दिया.
11 बिंदुओं पर आधारित होगी जांच
प्रशिक्षकों ने बताया कि कुपोषित बच्चों की पहचान उम्र के अनुसार वजन, लंबाई, बाजू की मोटाई और अन्य जैविक संकेतकों के माध्यम से की जायेगी. यदि बच्चे का वजन या लंबाई निर्धारित मानकों से कम पाया जाता है, तो उसे तुरंत इलाज और पौष्टिक आहार के लिए चिह्नित किया जायेगा. प्रशिक्षण के समापन पर सभी सेविकाओं और सहिया को सर्वेक्षण फार्म वितरित किये गये. अब वे अपने-अपने आंगनबाड़ी केंद्रों के क्षेत्र में जाकर समर सी मैम अभियान के तहत कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी और रिपोर्ट बाल विकास परियोजना कार्यालय को सौंपेगी.
प्रशिक्षकों ने दी तकनीकी जानकारीप्रशिक्षण में कमला देवी, कुसुम कुमारी, निशू महतो और पर्यवेक्षिका सुलक्ष्णा टुडू ने उपस्थित सेविकाओं और सहिया को तकनीकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बच्चों के पोषण स्तर की वैज्ञानिक जांच कैसे की जाती है और उसके आधार पर उपचार की प्रक्रिया क्या होगी. इस अवसर पर सीडीपीओ सानिया मंजुल, पर्यवेक्षिका सुलक्ष्णा टुडू, शिवनारायण ठाकुर समेत परियोजना से जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.
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