किस्को. कृषि विज्ञान केंद्र के समीप स्थित ऐतिहासिक तालाब आज अपनी पहचान और अस्तित्व दोनों खोता जा रहा है. एक समय था, जब यह तालाब क्षेत्र की शान हुआ करता था और आसपास के ग्रामीणों की जल जरूरतों को पूरा करता था, लेकिन आज यह बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. सरकार जहां एक ओर जलसंरक्षण को लेकर नये तालाबों के निर्माण पर जोर दे रही है, वहीं पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार की दिशा में कोई गंभीर पहल नहीं हो रही है. यही वजह है कि यह तालाब आज सूखा पड़ा है और उसके चारों ओर झाड़ियां उग आयी हैं.
अतिक्रमण से तालाब की गहराई घटी
कूड़ा-कचरा बना तालाब की दुर्दशा का कारणकिस्को चौक के दुकानदार और स्थानीय लोग तालाब में नियमित रूप से कूड़ा फेंकते हैं. इससे न केवल तालाब की गहराई घटती जा रही है, बल्कि उसमें गंदगी भी बढ़ गयी है. लोगों का कहना है कि तालाब की दशा अगर इसी तरह रही तो आने वाले समय में यह पूरी तरह समाप्त हो जायेगा.
कभी यह तालाब हंसों का डेरा हुआ करता था. दिनभर हंसों की चहचहाहट और तैराकी से तालाब जीवंत रहता था. अब स्थिति यह है कि तालाब में पानी नहीं होने से हंसों का आना बंद हो गया है. मछली पालन और बतख पालन पर भी असर पड़ा है. साथ ही मवेशियों को पानी पिलाने और अन्य घरेलू उपयोग में भी परेशानी हो रही है.
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि तालाब का जल्द से जल्द जीर्णोद्धार कराया जाये. साथ ही, बारिश का पानी फिर से तालाब में पहुंचे, इसके लिए बंद नालियों को चालू किया जाये. यदि समय रहते उपाय नहीं किये गये, तो यह तालाब हमेशा के लिए मिट्टी में दफन हो जायेगा.
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