छत्तरपुर. प्रखंड क्षेत्र के रजमनडीह गांव में सरकारी डिग्री कॉलेज 15 करोड़ 77 लाख की लागत से सुविधायुक्त भवन की स्थिति बदहाल है. डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया गया, लेकिन कॉलेज में सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी हैं. सात एकड़ भूमि में डिग्री कॉलेज का निर्माण किया गया है, ताकि अनुमंडल क्षेत्र के छतरपुर, नौडीहा बाजार व हरिहरगंज के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा मिल सके. अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 10 किमी की दूरी पर है. वर्ष 2023 से कॉलेज में नामांकन का कार्य शुरू किया गया था. जिसमें कला संकाय में 2023-27 में 86 विद्यार्थी नामांकित है, जबकि 2024-2028 में 110 का नामांकन हुआ है. सत्र 2025-29 के लिये अभी तक 96 छात्र- छात्राओं ने नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन अप्लाई किया है. नामांकन के बाद आज तक कॉलेज में नियमित पढ़ाई नहीं हो सकी है. 181 विद्यार्थियों पर मात्र एक इतिहास के प्रोफेसर हैं. कॉलेज में आठ शिक्षकों का पद स्वीकृत किया गया है, लेकिन कॉलेज मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है. शिक्षक अभाव में नियमित पढ़ाई नहीं हो पा रही है, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. करोड़ की लागत से बने कॉलेज परिसर में आज तक बिजली उपलब्ध नहीं हो सकी है. साथ ही पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है. छात्र और शिक्षक पीने के लिए पानी घर से लाते हैं. वहीं रख रखाव की अभाव में कॉलेज परिसर में झाड़ियां हो गयी है तथा कॉलेज की बिल्डिंग भी धीरे-धीरे जर्जर होते जा रही है. अनुमंडल क्षेत्र के लगभग आठ लाख की आबादी में एकमात्र डिग्री कॉलेज की स्थिति बदहाल होते जा रही है. कॉलेज के प्राचार्य अखिलेश कुमार यादव ने बताया कि शिक्षक के अभाव में विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. कॉलेज में ऑफिशियल कार्य के लिए भी कोई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई है. हम लोगों को ज्यादातर समय ऑफिशियल कार्य में ही बीत जा रहा है. जिस कारण बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रहा है. प्राचार्य श्री यादव ने बताया कि सरकार ने इतनी बड़ी खर्च कर कर सभी सुविधायुक्त भवन का निर्माण तो कर दिया, लेकिन इसमें अभी तक बिजली की सुविधा नहीं मिली है. बिजली की सुविधा नहीं रहने के कारण पानी की समस्या बनी है. पीने के लिए पानी घर से लेकर आते हैं या बाहर से मांगवाते हैं. कॉलेज में छात्र-छात्राओं को पीने से लेकर शौचालय तक के लिए बाहर ही जाना पड़ता है. कॉलेज में सफाई कर्मी नहीं होने के कारण कॉलेज का रखरखाव भी सही रूप से नहीं हो रहा है.
संबंधित खबर
और खबरें