मेदिनीनगर. शहर के पहाड़ी मोहल्ला स्थित मदरसा गौसिया रिजविया रोड में मोहम्मद शेर खान के आवास पर नातिया मुशायरा हुआ. साहित्यिक संस्था अदबी संसार ने 43वीं तरही नातिया मुशायरा का आयोजन किया. इसकी अध्यक्षता डॉ इंतेखाब असर ने की. संचालन हाजी शमीम रिजवी ने किया. संस्था के संस्थापक एमजे अजहर ने अतिथि व शायरों का स्वागत किया. अतिथि हसीब अहमद खां, एमजे अजहर व मोहम्मद शेर खां को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. मुशायरा का आगाज तिलावत ए कुरआन से हुआ. मुशायरा में शामिल शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी. मौलाना महताब आलम जियाई ने ऐ नबी के गुस्ताखो! मुत्तहिद ही रहने दो, एखतलाफ मत डालो तुम नबी की उम्मत में, हाजी शमीम रिजवी ने जलवा ऐसा कि नजर जिस पे जमाए न बने, हुस्न ऐसा कि निगाहों को हटाए न बने… कलाम पेश किया. इसी तरह हाजी अमीन रहबर ने लाए तशरीफ़ यहां नूर ए मुजस्सम बन कर, इसलिए मेरे नबी के कभी साये न बने, एमजे अज़हर ने जुल्म सह-सह के हमेशा ही ये कहते थे बिलाल, इश्क ए अहमद तो कभी दिल से निकल सकता नहीं, अलाउद्दीन शाह चिराग ने जो गुलाम-ए-मुस्तफा हैं, वो तो बख्शे जायेंगे, अब्दुल कय्यूम रूमानी ने मैं नबी का हूं फिदाई उस घर को ढूंढता हूं, जहां रहमतों की है बारिश उस दर को ढूंढता हूं, इमरान शाद ने सारे आलम में खुदा का आप सा प्यारा नहीं, मर्तबा क्या है सिवा रब के कोई जाना नहीं,अदनान काशिफ ने ये करम है हुजूर का हम पर, आने वाले अजाब टलते हैं कलाम प्रस्तुत किया.इसके अलावा कारी जसीमुद्दीन शमीमी, हाफीज यूनुस रिजवी, मोहम्मद इस्तेखार,मोहम्मद फखरुल, मौलाना लुकमान अहमद रूमी, फारूक अहमद, मोहम्मद हसामुद्दीन, सैयद अरशद हुसैन ने भी नातिया मुशायरा में कलाम पेश किया. मौके पर उर्दू लाइब्रेरी के अध्यक्ष हसनैन खां, आइबीटी के इमरान हाशमी, सैयद मोहम्मद कलाम, एसएम शाहनवाज, मोहम्मद अशरफ सहित कई लोग मौजूद थे.
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