रजिस्टर में दर्ज है 222 छात्रों के नाम
हैरानी की बात यह है कि विद्यालय के रजिस्टर में दर्ज 222 छात्रों में से एक भी छात्र स्थानीय नहीं हैं. गुमला, लोहरदगा, चतरा, रांची और बिहार के अलग अलग जिलों के छात्रों का नाम दर्ज है, लेकिन गांव से कोई भी छात्र नामांकित नहीं है. स्थानीय मुखिया जितेंद्र पांडेय ने स्पष्ट कहा कि यह विद्यालय वर्षों से बंद है और केवल पैसों की बंदरबांट के लिए इसका नाम चलाया जा रहा है. उन्होंने इसे पूरी तरह से फर्जी विद्यालय बताया.
Also Read: गृह मंत्री अमित शाह के रांची दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था सख्त, SSP ने अधिकारियों को दिये ये निर्देश
सुरेश प्रसाद सिन्हा के संरक्षण में चल रहा फर्जीवाड़ा
पलामू में संचालित इस संस्कृत विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों में बिहार के औरंगाबाद के विकास कुमार, चतरा के दिलीप सिंह, चैनपुर के गौतम कुमार और निधि कुमारी शामिल है. निधि स्थानीय दिलीप सिन्हा की पुत्री हैं, जिसकी शादी बिहार में हुई है. इन सभी को अनुदान की राशि नियमित रूप से दी जा रही है. विद्यालय की सचिवीय जिम्मेदारी पिछले 10 वर्षों से सुरेश प्रसाद सिन्हा संभाल रहे हैं. आरोप है कि इन्हीं के संरक्षण में फर्जीवाड़ा चल रहा है.
फर्जी हस्ताक्षर के जरिये नयी कमेटी गठित हुई
विद्यालय के पूर्वप्रधानाध्यापक सत्यनारायण सिंह ने बताया कि उन्होंने 2020 में सेवानिवृत्ति ली थी, लेकिन किसी ने उनसे औपचारिक रूप से प्रभार नहीं लिया. इसके बाद फर्जी हस्ताक्षर कर नयी कमेटी गठित की गयी और बैंक में दस्तावेज जमा कर राशि की निकासी की गयी. उन्होंने इस संबंध में डीसी, डीइओ, बीडीओ और बीइइओ को लिखित शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
Also Read: रांची के इस अस्पताल में जल्द शुरू होगी बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा, इन मरीजों को होगा लाभ