मेदिनीनगर. डालटनगंज कैथोलिक धर्मप्रांत का पांच दिवसीय प्रचारक सेमिनार व विनती उपवास कार्यक्रम शुरू हुआ. चियांकी स्थित साधना सदन में आयोजित सेमिनार का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया. सेमिनार में डालटनगंज कैथोलिक धर्मप्रांत के 150 प्रचारकों ने हिस्सा लिया. डालटनगंज धर्मप्रांत के बिशप थियोडोर मस्करेनहास ने प्रचारकों को प्रेरक संदेश दिया. उन्होंने कहा कि धर्मप्रांत का प्रमुख बिशप होते हैं. धर्मप्रांत का नेतृत्व भले ही बिशप के द्वारा किया जाता है, लेकिन प्रचारक ही धर्मप्रांत की आत्मा और जीवन शक्ति हैं. प्रचारक ही धर्मप्रांत का संदेश व सुसमाचार लोगों तक पहुंचाते हैं और उनकी सेवा करते हैं. बिशप ने संत पापा के मिशन पर विशेष जोर दिया. कहा कि संत पापा ने मिशन के तहत एक ऐसी कलीसिया का निर्माण करने की बात कही है, जो गरीबों के साथ खड़ी रहे और हर वर्ग के लोगों तक पहुंचे. साथ ही उन्हें प्रेम, समर्पण व आशा का संदेश दे. इस मिशन को पूरा करना ही प्रत्येक प्रचारक का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संत पापा की यह सोच प्रत्येक प्रचारक के क्रिया कलाप, बातचीत, व्यवहार और काम में झलकनी चाहिए. यह सब प्रचारकों के कार्यों व सेवा भाव से दिखना चाहिए. सेमिनार में उपवास, बाइबिल चिंतन, प्रार्थना के अलावा सामूहिक आत्मचिंतन के माध्यम से प्रचारकों को उनकी आध्यात्मिक भूमिका के लिए सशक्त बनाया जा रहा है. पांच दिवसीय सेमिनार का मुख्य उद्देश्य प्रचारकों को इस बात के लिए प्रेरित करना है कि वे न केवल चर्च के संदेशवाहक हों, बल्कि समाज में आशा, न्याय और करूणा के वाहक भी बनें. एसोसिएट डिप्टी कमिश्नर सीसीबीआई ने भी विचार साझा किया. उन्होंने कहा कि प्रचारक केवल संदेशवाहक नहीं हैं, बल्कि ईश्वर की आशा की जीवंत पहचान हैं. इस जुबली वर्ष में जब हम सभी आशा के तीर्थयात्री के रूप में आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में प्रचारकों की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि प्रचारक आम लोगों के लिए आशा का स्रोत बनें. यह आयोजन जुबली वर्ष 2025 के तहत हो रहा है, जिसे संत पापा फ्रांसिस ने आशा के तीर्थयात्री वर्ष के रूप में घोषित किया है. जुबली वर्ष में विश्व के कैथोलिकों को आत्मिक नवीनीकरण, सामाजिक सहभागिता और मिशनरी सक्रियता के लिए आमंत्रित किया गया है.
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