फोटो 30 डालपीएच- 1 कैप्सन : शिलान्यास करते सांसद व अन्य. हुसैनाबाद. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने भजनिया मोहम्मदगंज से हैदरनगर वाया कोल्हुआ, बरडीहा, पंसा, अधोरी एवं रानीदेवा तक 92 करोड़ 3 लाख 86 हजार रुपये की लागत से बननेवाली करीब 17.372 किमी लंबी सड़क का शिलान्यास किया. मौके पर सांसद श्री राम ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-4 के तहत पलामू जिला में चयनित 53 सड़क (143.175 किमी) लागत 1 अरब 91 करोड़ 7 लाख रुपए से स्वीकृत होनेवाला है. उक्त सड़कों में विशेषकर हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 16 सड़कों का निर्माण कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि पलामू संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र की जनता के वर्षों पुरानी मांग हुसैनाबाद जपला सिमेंट फैक्ट्री की खाली पड़ी भूमि पर रेलवे एक्सल की फैक्ट्री लगाने हेतु भी प्रयासरत है. इस संबंध में संबंधित पदाधिकारी को पत्राचार किया गया है.उन्होंने हैदरनगर रेलवे क्रॉसिंग फाटक संख्या 50 सी पर एलएचएस निर्माण के बारे में बताया कि इसकी स्वीकृति हुई थी, परंतु उक्त एलएचएस निर्माण से जनता की कठिनाइयों का निवारण नहीं हो पा रहा था. इसलिए उक्त स्थान पर आरओबी के निर्माण के लिए डीपीआर तैयार किया जा रहा है जो जल्द ही स्वीकृत होगी. हैदरनगर केन्द्रीय अवसंरचना निधि से हैदरनगर से पंसा 7.505 किमी लागत 36 करोड़ 23 लाख रुपये से स्वीकृत हुई है जिसका जल्द निविदा प्रकाशित होगी.वहीं केन्द्रीय अवसंरचना निधि से ही हुसैनाबाद देवरी कला सूर्य मंदिर से बिहार के नौहट्टा प्रखंड के देवीपुर के बीच सोन नदी पर ब्रिज के निर्माण के लिए लोकसभा में मामला को उठाया गया है साथ ही लागातार पत्राचार किया गया है. उमीद है बहुत जल्द हुसैनाबाद के लोगों को उक्त ब्रिज निर्माण की स्वीकृति की खुशी भी मिलने वाली है. ग्रामीणों द्वारा गरीब रथ ट्रेन का मोहम्मदगंज में ठहराव की मांग पर सांसद श्री राम ने बताया कि वे प्रयास में लगे हैं कि मोहम्मदगंज रेलवे स्टेशन पर भी गरीब रथ ट्रेन का ठहराव हो. ग्रामीणों द्वारा बिजली के लचर व्यवस्था पर ध्यान आकृष्ट करवाने पर सांसद श्री राम ने उन्हें बताया कि लगभग ढ़ाई साल पूर्व हीं पलामू एवं गढ़वा क्रमशः दोनों जिले हेतु बीस-बीस मेगावाट सोलर पावर प्लांट की स्वीकृति उनके द्वारा केन्द्र सरकार से दिलाई गयी थी जिसे स्थापित करने हेतु 100 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी .लेकिन तत्कालीन झामुमो के सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराया जिस कारण उक्त प्लांट स्थापित नहीं किया जा सका. आज यदि यह प्लांट स्थापित हो गया होता तो बिजली के संबंध में दोनों जिले की सूरत कुछ और होती. उन्होंने राज्य सरकार के उदासीन रवैया को बिजली की लचर व्यवस्था हेतु जिम्मेवार ठहराया.
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