झमाझम बारिश से बेतला नेशनल पार्क के जलाशय लबालब, वन प्रबंधन ने ली राहत की सांस

बारिश के कारण जलाशयों में पानी लबालब दिख रहा है. इससे वन प्रबंधन को एक उम्मीद जगी है कि यह पानी अगले छह-सात महीने तक के लिए जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त रहेगा. वहीं अगर और अधिक बारिश होती है तो इसका भी सीधा असर इन जलाशयों पर पड़ेगा.

By Jaya Bharti | September 27, 2023 10:45 AM
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बेतला, संतोष कुमार : पिछले दिनों बेतला नेशनल पार्क में हुई बारिश के बेतला नेशनल पार्क सहित पलामू टाइगर रिजर्व के कई प्राकृतिक जलाशयों में पानी लबालब भर गया है. इस कारण वन प्रबंधन ने राहत की सांस ली है. पिछले बार बारिश नहीं होने के कारण कई जलाशयों में पर्याप्त पानी नहीं थे. इस कारण जनवरी महीने से ही जंगल के जलाशयों में पानी सूखने लगे थे. वहीं फरवरी, मार्च आते-आते तक पूरी तरह से सूख गये थे, जिसे देखते हुए पानी की व्यवस्था करने के लिए टैंकर से आपूर्ति शुरू की गयी थी. वहीं कई जगह पर सोलर वाटर पंप लगाया गया ताकि जंगली जानवरों को समुचित पानी मिल सके. जंगली जानवरों को चारा के अलावा पानी की बहुत जरूरत होती है. जंगली जानवर ना केवल पानी को पीते हैं, बल्कि पानी में घंटों बैठकर जल क्रीड़ा भी करते हैं. यदि पानी की व्यवस्था नहीं होती है तो उस क्षेत्र से जंगली जानवरों का पलायन हो जाता है. हालांकि, इस बार अधिक बारिश नहीं हुई है, फिर भी पिछले हफ्ते हुई बारिश के कारण जलाशयों में पानी लबालब दिख रहा है. इससे वन प्रबंधन को एक उम्मीद जगी है कि यह पानी अगले छह-सात महीने तक के लिए जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त रहेगा. वहीं अगर और अधिक बारिश होती है तो इसका भी सीधा असर इन जलाशयों पर पड़ेगा.

इन जलाशयों में दिखने लगा है पानी

बेतला नेशनल पार्क के नावाबांध, खैराही, नुनाही, बाघ झोपड़ी, फुटहवा बौलियां, दूध मटिया, झबरीबार, खरोपवा, गोबर दाहा, जमुवारी, पपरापानी, शिवनाला, जितिया नाला और कमलदह झील में पर्याप्त पानी दिख रहा है. हालांकि, कमलदह झील सहित अन्य जलाशयों में अभी और अधिक पानी की आवश्यकता है, तब यह लबालब दिखे सकेंगे. फिर भी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जलस्तर थोड़ी अधिक बढ़ी हुई दिख रही है. कमलदह झील भी जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त जल मुहैया कराने वाला एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है. साथ ही यहां सैकड़ो तरह के प्रवासी पक्षियों का भी आवागमन होता है. इसलिए इस जलाशय में पर्याप्त पानी की उपलब्धता अनिवार्य माना जाता है.

क्या कहते हैं रेंजर

रेंजर शंकर पासवान व वनपाल संतोष सिंह ने कहा कि जंगल में वर्तमान समय में सभी जलाशय पानी से लबालब भरे हैं. जंगली जानवरों के लिए पानी अभी पर्याप्त है. हालांकि, कई जगहों पर अभी भी सोलर सिस्टम से जलापूर्ति जारी है.

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