मेदिनीनगर. बुधवार को साहित्यकार महादेवी वर्मा की 118वीं जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर जीएलए कॉलेज के हिंदी विभाग के द्वारा विचार गोष्ठी का आयाेजन किया गया. इसकी अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ आइजे खलखो ने की. अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर गाेष्ठी का उदघाटन किया. प्राचार्य डॉ खलखाे ने महादेवी वर्मा को छायावादी आंदोलन की महत्वपूर्ण कड़ी बताया. उन्होंने कहा कि नारी मुक्ति के आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही है. उनकी कविताओं में नारी मुक्ति का सर्वाधिक सशक्त स्वर, वेदना, संवेदना रहस्यवादी चिंतन समाहित है. मुख्य अतिथि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष बैजनाथ राय ने महादेवी वर्मा को छायावाद का मुख्य स्तंभ बताया. छायावादी कवियों ने नारी को सहचरी मां व देवी के रूप में स्थापित किया है. नारी मुक्ति आंदाेलन में महादेवी वर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. हिंदी विभागाध्यक्ष डा विभा शंकर ने छायावादी चेतना व चिंतन की चर्चा करते हुए महादेवी वर्मा को सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक साधिका बताया. अपनी रचनाधर्मिता से कवयित्री ने निजी वेदना की अभिव्यक्ति के साथ-साथ समष्टि के कल्याण की बातें की है. गद्य व पद्य साहित्य से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है. महादेवी की सारस्वत साधना का हिंदी साहित्य सदैव ऋणी रहेगा. अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता कुमारी ने कहा कि महादेवी वर्मा गद्य में भी कविता के मर्म की अनुभूति कराती है. इनकी रचनाओं में पिछड़े एवं दलितों की गहरी चिंता है. गाेष्ठी में उर्दू विभागाध्यक्ष डा खुर्शीद आलम, डा भावना, डा अयना, डा माधुरी, डा अरुणा खाखा, डा वीरेंद्र, विकास टोपनो, भूगोल विभाग के जय कुमार ने विचार अभिव्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन कौशल मिश्रा ने किया. मौके पर रंजन यादव, आरती कुमारी, चितेश पांडेय, सिमरन कुमारी, सोनम कुमारी, काजल, दीपा, सोनाली, साक्षी, तनु, गीतांजलि, रोहित, अखिलेश, ज्योति, पल्लवी, संगीता, शैली कुमारी, रामाशंकर पासवान सहित कई विद्यार्थी मौजूद थे.
संबंधित खबर
और खबरें