पतरातू. पतरातू डैम में मोटर बोट के अवैध संचालन से डैम के पुराने बांध पर खतरे की तलवार लटकने लगी है. मोटर बोट से निकलने वाले धुएं और तेल के रिसाव से डैम का पानी प्रदूषित हो रहा है. इससे जलीय जीवन और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जतायी जा रही है. पतरातू डैम का निर्माण 1960 के दशक में पीटीपीएस पावर प्लांट के लिए किया गया था. उसी समय यहां की बड़ी आबादी को पेय जलापूर्ति भी की जा रही है. बढ़ते प्रदूषण ने पूरे जलाशय को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. यह लोगों के जीवन के लिए खतरा बन सकता है. कांके डैम में लग चुकी है मोटर बोट संचालन पर रोक : झारखंड सरकार द्वारा कांके डैम में मोटर बोट के कारण फैलने वाले प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के मद्देनजर वर्षों पूर्व ही मोटर बोट संचालन को बंद कर दिया गया था. इसके बावजूद पतरातू डैम, जो पर्यटन विभाग के अधीनस्थ नहीं है, उसमें पर्यटन विभाग समेत स्थानीय लोगों द्वारा धड़ल्ले से मोटर बोट चलायी जा रही हैं. अतिक्रमण के कारण बढ़ गयी हैं समस्याएं : स्थिति यहीं तक सीमित नहीं है. डैम के कैचमेंट एरिया में अवैध अतिक्रमण कर कई होटल, रेस्टोरेंट व दुकानें बना ली गयी हैं. इन अवैध निर्माणों के चलते होटलो, रेस्टोरेंट समेत घरों के सैकड़ों लोगों का गंदा पानी सीधे डैम में गिर रहा है. इससे पानी की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है. स्वास्थ्य के लिए खतरा : पतरातू डैम का पानी पीटीपीएस कॉलोनी क्षेत्र, सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र समेत आसपास के कई गांवों में दिया जाता है. ऐसे में पानी का प्रदूषित होना हजारों लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है. स्थानीय लोगों ने डैम और बांध की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से जल्द उचित कार्रवाई की मांग की है. लकड़ी बोट का संचालन ही उचित है : पीटीपीएस शेष परिसंपत्ति के प्रशासन ने कहा है कि डैम में केवल लकड़ी की नावों का संचालन ही मान्य है. मोटर बोट चलाना पूरी तरह से गलत व खतरनाक है. प्रशासन ने इस संबंध में संबंधित विभाग को लिखित सूचना भी दी है.
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