2014 में ही किया था ट्रायल लेकिन नहीं मिली सफलता
भाई सेवकी महतो और भाभी गीता देवी ने भी लगभग एक एकड़ पांच डिसमिल भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती की है. रचिया महते ने साल 2013 में जलगांव (महाराष्ट्र) में स्ट्रॉबेरी की खेती देखी थी. 2014 में ट्रायल के रूप में लगाया, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद फिर से 2024 के सितंबर माह में उद्यान विकास से नि:शुल्क मिले लगभग 20 हजार पौधे मल्चिंग विधि से लगाये.
पढ़ें प्रभात खबर की प्रीमियम स्टोरी : क्या पुतिन से नजदीकियों की वजह से ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर निकाला?
दुबई में 375 रुपये किलो बिकी स्ट्रॉबेरी
दुबई में स्ट्रॉबेरी 375 रुपये किलो बिकी. हवाई जहाज से स्ट्रॉबेरी दुबई भेजी गयी. फिलहाल रांची, पिठोरिया, बोकारो, जमशेदपुर सहित कई शहरों में लगभग 130 से 150 रुपये की दर से स्ट्रॉबेरी बेच रहे हैं. रचिया महतो गोला प्रखंड क्षेत्र के 105 किसानों को उद्यान विकास से प्राप्त स्ट्रॉबेरी का पौधा देकर खेती करा रहे हैं. इसमें 25 किसानों को इसमें सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि पूरे जिले में विभाग द्वारा दो करोड़ रुपये से अधिक के स्ट्रॉबेरी के पौधे किसानों के बीच वितरित किये गये हैं. उन्होंने कहा कि इस खेती के विस्तार के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित किया जायेगा.
एक दर्जन लोगों को दिया है रोजगार
कार्य में सुनीता देवी, कल्याणी कुमारी, रविता देवी, इशु देवी, सोनी कुमारी, सेवंती देवी, जुना देवी, नमिता देवी, घनश्याम महतो, प्रदीप महतो, सुरेश महतो, नरेश महतो, अक्षय महतो, बिंदेश्वर महतो को रोजगार दिया गया है. ये लोग स्ट्रॉबेरी तोड़ने से लेकर पैकिंग करने और मार्केट तक पहुंचाने में सहयोग करते हैं
कीवी की फसल लगाने की है तैयारी
रचिया महतो बताते हैं कि अभी स्ट्रॉबेरी, बेबीकॉर्न, ब्रॉकली, स्विटकॉर्न, तरबूज आदि की खेती की जा रही है. वे ग्राफ्टिंग के माध्यम से नर्सरी पौधे की तैयारी करते हैं. उन्होंने बताया कि अब आगे कीवी की फसल लगाने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि खरीदार नहीं होने के कारण किसानों को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. अगर सरकार यहां सब्जी और फल रखवाने के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा प्रदान करती है, तो किसानों की आय में वृद्धि होगी.
झारखंड की खबरें यहां पढ़ें