रांची के मोरहाबादी मैदान में खादी मेला का अयोजन किया गया है. मेले में कुल 300 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. इन स्टॉलों में लगा तसर रेशम का स्टॉल खुद ही दर्शकों को अपनी ओर खींच रहा है. इस स्टॉल में आपको बताया गया है कि किस तरह से शहतूत के पेड़ पर किड़े के माध्यम से रेशम का उत्पादन किया जाता है. पूरी प्रकिया समझाने के लिए मौजूद तसर रेशम के उत्पादन कार्य में लगे समिति के सदस्य बताते है कि यह 45 दिन से 55 दिनों तक की एक प्रकिया है जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में भी इसका उत्पादन संभव हो पाया है. केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से उत्पादन की पूरी प्रकिया चलती है. इसके कारण न सिर्फ ग्रमीणों को राेजगार मिल रहा है साथ ही झारखंड का नाम तरस रेशम के मार्केट में भी उंचा कर रहा है. पूरे देश भर में तसर रेशम की 70 प्रतिशत डिमांड झारखंड राज्य से ही पूरी हो रही है. सिर्फ इतना ही नहीं झारखंड का तसर आज विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है.
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