रांची (वरीय संवाददाता). केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) के 108वें स्थापना दिवस समारोह में रिम्स के निदेशक डॉ राज कुमार ने कहा कि दिमाग (ब्रेन) शरीर का महत्वपूर्ण अंग है. यह अपने शरीर का नेट प्रोडक्ट है. इसकी पूरी प्रणाली को समझना आज भी मुश्किल है. इसकी पूरी गुत्थी को आज तक एकेडेमिया (शैक्षणिक विशेषज्ञ) भी नहीं सुलझा पाये हैं. इसमें 40 हजार तक सेल होते हैं. सभी जब एक साथ एक्टिव होंगे, तो क्या होगा समझने की जरूरत है. एक व्यक्ति के दिमाग में 24 घंटे में 70 हजार से अधिक विचार आते हैं. दिमाग अपने आप में एक गुत्थी है. समारोह का आयोजन संस्थान परिसर में शनिवार को किया गया. इस मौके पर अच्छा काम करने वाले कर्मियों को सम्मानित किया गया.
आज भी मनोचिकित्सा में काफी गैप
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (एनयूएसआरएल ) के कुलपति अशोक आर पाटिल ने कहा कि युवा आज कई तरह की मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं. बाहर शैक्षणिक संस्थानों में रहने वाले विद्यार्थियों की अलग-अलग मानसिक समस्या है. उनके मन में भी हर दिन तनाव होता है. जितने लोगों को मनोचिकित्सकीय सलाह की जरूर है, उसमें 10 फीसदी ही इलाज करा पाते हैं. आज भी मनोचिकित्सा में काफी गैप है.
संस्थान को ऊंचाई तक ले जाना है
इनको पुरस्कार मिला
बेस्ट डॉक्टर : डॉ नताशा, जूनियर रेसिडेंट : सृजन दास, ऑफिस स्टॉफ : नितिन, ओटी (पुरुष) : इश्तियाक खान रौनक, ओटी (महिला): सदीहा बानो, डीपीएम : शबनम परवीन, नर्सिंग : सुधा कुमार रवि, मजदूर : रब्बानी, वार्ड अटेंडेट (पुरुष) : फेलिक्स किस्पोट्टा, सफाईकर्मी : अजय मलिक, किचन : संजय मुंडा, डिपार्टमेंट : मेल ओटी, पेपर : आदित्य सुरेश, वार्ड : क्रेपैलीन.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है