खलारी. खलारी के ऐतिहासिक एसीसी छठ तालाब का बहुप्रतीक्षित जीर्णाेद्धार आज भी अधूरा है, जबकि दो योजनाओं से कुल 59 लाख रुपए खर्च किये जा चुके हैं. स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग थी कि तालाब की सफाई, गहरीकरण और बांध की मरम्मत कर उसे छठ पूजा व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त बनाया जाये. परंतु अफसोस की बात है कि जिन मदों से यह कार्य हुआ, उनमें तालाब की मिट्टी हटाने और बांध की मरम्मत का कार्य ही शामिल नहीं किया गया. एक योजना सीसीएल सीएसआर फंड से 20 लाख रुपए की थी, जबकि दूसरी योजना जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से 39 लाख की थी. डीएमएफटी योजना का नाम ही ’एसीसी छठ तालाब का जीर्णाेद्धार, सौंदर्यीकरण एवं मिट्टी हटाकर बांध की मरम्मत कर तालाब का निर्माण’ था. लेकिन जब प्राक्कलन तैयार हुआ, तब उसमें से मिट्टी हटाने और बांध मरम्मत का कार्य ही हटा दिया गया, यानी योजना के नाम की ‘आत्मा’ ही निकाल दी गयी. अब स्थिति यह है कि केवल नया छठ घाट बना है, जबकि तालाब की मुख्य समस्या जस की तस बनी हुई है. न तो उसमें जमा मिट्टी हटायी गयी और न ही कमजोर हो चुके बांध की मरम्मत की गयी. परिणामस्वरूप, बरसात में भी तालाब में समुचित जल संचय नहीं हो पा रहा है. स्थानीय जिला परिषद सदस्य सरस्वती देवी ने विभागीय लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस उद्देश्य से योजना स्वीकृत हुई थी, वह पूरा नहीं हुआ. जनता के साथ धोखा हुआ है. यह भ्रष्ट प्रबंधन की देन है.
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