आज भी पाेस्टकार्ड के माध्यम से आकाशवाणी में आ रहे हैं श्रोताओं की फरमाइश
आकाशवाणी रांची का 68वां स्थापना दिवस आज
डिजिटल दौर में भी जारी है पोस्टकार्ड से संवाद
अब डिजिटल माध्यमों पर भी उपलब्ध है प्रसारण
क्या कहते हैं वर्षों से आकाशवाणी सुनने वाले श्रोता
भगवान बाबू (तेनुघाट), अंग्रेजी के सेवानिवृत्त शिक्षक, 1985 से रेडियो सुन रहे हैं. कहते हैं कि रेडियो से बेहतर संचार का माध्यम कोई नहीं है. मेरे पास पांच रेडियो हैं, जिनमें से
कुछ अब भी चल रहे हैं. सबसे प्रिय कार्यक्रम है फरमाइशी गीत.
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