Azadi Ka Amrit Mahotsav: अ गस्त 1942 का समय था. पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन चल रहा था. कतरास में भी युवाओं का जोश कम नहीं था. उस समय कांग्रेस की सभा कतरास में हुई, जिसमें रामानंद खेतान तथा बीपी सिन्हा ने भाग लिया. आंदोलनकारियों ने कतरास थाना में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया. दूसरे दिन सुबह-सवेरे रामानंद खेतान तथा बीपी सिन्हा ने कतरास थाना के पीछे सीढ़ी लगाकर यूनियन जैक का झंडा हटा उसके स्थान पर तिरंगा फहरा दिया. सीढ़ी लगाने की जिम्मेदारी सरदार इंदर सिंह को सौंपी गयी थी. पुलिस को जब पता चला, तो उसने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. यह पता चलते ही पूरा कतरास आंदोलित हो उठा. तत्कालीन उपायुक्त बीकेबी पिल्लई कतरास पहुंचे थे. इस दौरान पत्थरबाजी में उन्हें भी एक पत्थर जा लगा. दोनों नेताओं को कतरास थाना से धनबाद जेल भेज दिया गया. फिर भी लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ. बाद में रामानंद खेतान को हजारीबाग जेल भेजा गया. एक साल तक जेल में रहने के बाद वे बाहर आये. श्री खेतान ने नमक सत्याग्रह, शराब की दुकानों का बहिष्कार, विदेशी कपड़ों की होली जलाने के आंदोलन में हिस्सा लिया था.
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