रांची. आज भले ही हम अपने आपको आजाद कह रहे हों. देश संविधान से चल रहा है. लेकिन हकीकत में आज भी बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर का सपना अधूरा है. क्योंकि बाबा साहेब का सपना था देश के लोगों को मुफ्त शिक्षा देने का. लेकिन देख लीजिए आज देश में शिक्षा की क्या स्थिति बनी हुई है. एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के बच्चों का हाल यह है कि 10वीं के बाद 40 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाना छोड़ देते हैं. स्कूल छोड़ने का एक कारण यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन घर के आमने-सामने स्कूल नहीं होता है. उदाहरण झारखंड राज्य का ही लिया जाये. यहां पिछली सरकार ने 800 स्कूलों को बंद कर दिया. अब ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास इतना संसाधन नहीं होता है कि वह निजी स्कूलों में जाकर शिक्षा ग्रहण करें. आज बाबा साहेब के कारण लोग आरक्षित सीटों से विधायक-सांसद तो बन रहे हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद आरक्षित सीट से जीते राजनेता भी समाज के इन दबे-कुचले लोगों को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. पीएस नाग आयोग की रिपोर्ट है कि पूरे देश के सार्वजनिक व सरकारी उपक्रमों में 60 लाख रिक्तियां हैं, लेकिन केंद्र सरकार नियुक्ति नहीं कर रही है. अगर यह नियुक्ति होती, तो एससी, एसटी व ओबीसी को इसमें 40 लाख नौकरी मिलती. ऐसे में समाज के लोगों का हक धीरे-धीरे छीना जा रहा है.
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