Babulal Marandi : झारखंड सरकार पर बाबूलाल मरांडी का तीखा प्रहार, बोले- आरोपी को मुआवजा, लेकिन पीड़िता के लिए मौन

Babulal Marandi: नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कुछ सवाल किये हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या आदिवासी अब इस राज्य में दोयम दर्जे के नागरिक हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार आरोपी को मुआवजा दे रही है, लेकिन पीड़िता के लिए मौन है.

By Rupali Das | May 17, 2025 8:31 AM
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Babulal Marandi: भाजपा के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बोकारो मॉब लिंचिंग मामले में राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया है. इसे लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि दुष्कर्मी के लिए मुआवज़ा, पीड़िता के लिए मौन, क्या यही सीएम हेमंत सोरेन का झारखंड मॉडल है.

घटना दुखद, लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया शर्मनाक- बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल ने मामले पर प्रकाश डालते हुए लिखा कि बोकारो के कडरूखुट्ठा गांव में एक आदिवासी महिला तालाब में स्नान करने गई थी. वहीं गांव में काम कर रहा अब्दुल कलाम, महिला से छेड़खानी करता है और दुष्कर्म की कोशिश करता है. महिला चिल्लाती है, ग्रामीण जुटते हैं, और आरोपी की जमकर पिटाई होती है. पिटाई के दौरान उसकी मौत हो जाती है. घटना दुखद है, क्योंकि कानून को हाथ में लेना सही नहीं. लेकिन उससे भी ज़्यादा शर्मनाक है, इसके बाद झारखंड सरकार और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया, जिन्होंने पीड़िता को भूलकर पूरी संवेदना उस व्यक्ति के लिए लुटा दी जो एक आदिवासी महिला का बलात्कार करना चाहता था.

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बलात्कारी के साथ शहीद जैसी सहानुभूति

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा कि कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी ने पूरे मामले को ‘मॉब लिंचिंग’ कहकर मुस्लिम उत्पीड़न की कहानी बना दी. साथ ही राज्य सरकार ने भी तत्काल अब्दुल कलाम के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा, एक लाख सहायता राशि और स्वास्थ्य विभाग में नौकरी तक ऑफर कर दी. इन्होंने एक बलात्कारी के साथ शहीद जैसी राजकीय सहानुभूति दिखायी. उन्होंने कहा कि यह समझना बहुत अहम है कि राज्य और तथाकथित सेक्युलर ‘विचारधारा’ ने इस मामले को कैसे पलट दिया.

नेता प्रतिपक्ष ने किया राज्य सरकार से सवाल

बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि डॉ इरफान अंसारी जैसे नेता इस मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देकर आदिवासी समाज के घाव पर नमक छिड़कते हैं, जबकि झारखंड सरकार पूरी तरह वोटबैंक तुष्टिकरण में लिप्त है. बलात्कारी अगर “राजनीतिक रूप से सुरक्षित समुदाय” से हो, तो उसके घर को ही ‘पीड़ित परिवार’ घोषित कर दिया जाता है. उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या आदिवासी अब इस राज्य में दोयम दर्जे के नागरिक हैं. क्या आदिवासी स्त्रियों की अस्मिता अब आपकी राजनीति के लिए ‘दूसरी प्राथमिकता’ बन चुकी है या सरकार सिर्फ इसलिए चुप है क्योंकि यह मामला ‘धर्मनिरपेक्ष नैरेटिव’ के खिलाफ जाता है.

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