Babulal Marandi News: रांची-झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से आज सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राजभवन में मुलाकात की. उन्होंने नयी उत्पाद नीति (मदिरा की खुदरा बिक्री के लिए दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) के संबंध में ज्ञापन सौंपा और इसके जरिए अपने सुझाव दिए. उन्होंने आग्रह किया कि उनके सुझावों पर विचार कर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को दिशा-निर्देश दिया जाए, ताकि नयी उत्पाद नीति अधिक प्रभावी, समावेशी और राजस्व हित में हो. उन्होंने पेट्रोल पंप एवं गैस एजेंसी आवंटन की तर्ज पर नयी उत्पाद नीति में भी एसटी, एससी, महिला, दिव्यांग और पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दिए जाने का आग्रह किया है.
बाबूलाल के ज्ञापन में क्या है खास?
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में 15 मई 2025 को झारखंड कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नयी उत्पाद नीति की कुछ विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है. इसमें बाबूलाल मरांडी ने उल्लेख किया है कि इसके पहले भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दो बार उत्पाद नीतियां लागू की गयीं, लेकिन वे राजस्व को अपेक्षित लाभ नहीं पहुंचा सकीं और न ही स्थानीय व्यवसायियों एवं बेरोजगार युवाओं को कोई विशेष अवसर प्रदान कर सकीं. इसके विपरीत इन नीतियों के क्रियान्वयन से शोषण की स्थिति उत्पन्न हुई और राजस्व की हानि हुई. दुकानों में निर्धारित मूल्य (MRP) से अधिक दरों पर मदिरा की बिक्री किए जाने से आम लोगों से अवैध वसूली हुई, इससे वास्तविक राजस्व सरकार को मिलने के बजाय माफियाओं एवं बिचौलियों के हाथों में चला गया.
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दुकानें सीमित व्यापारियों के नियंत्रण में जाने की है आशंका-बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी ने जिक्र किया है कि वर्तमान में प्रस्तावित नीति के तहत एक व्यक्ति या प्रतिष्ठान को जिला स्तर पर तीन यूनिट (यानी 9 दुकानें) एवं राज्य स्तर पर अधिकतम 36 दुकानों के संचालन की अनुमति दी गयी है. इस व्यवस्था से राज्यभर की अधिकतर दुकानें सीमित संख्या में बड़े व्यापारियों के नियंत्रण में जाने की आशंका है. इससे स्वतंत्र एवं पारदर्शी व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा बाधित होगी.
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने दिए ये भी सुझाव
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुझाव दिया है कि जिस प्रकार केंद्र सरकार पेट्रोल पंप एवं गैस एजेंसी के आवंटन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, दिव्यांगजनों एवं पूर्व सैन्यकर्मियों को प्राथमिकता देती है, उसी प्रकार झारखंड सरकार भी नयी उत्पाद नीति में वंचित, आदिवासी, दलित, महिला एवं पूर्व सैनिकों को आरक्षण और प्राथमिकता दे. उन्होंने एक व्यक्ति, एक दुकान सिद्धांत को अपनाने का प्रस्ताव दिया है. इससे अधिक से अधिक लोगों को व्यावसायिक अवसर प्राप्त होगा और भ्रष्टाचार एवं एकाधिकार की आशंकाओं पर अंकुश लगेगा.
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