Ranchi News: बचपन का दर्द भूल अनाथों के लिए फरिश्ता बने भाई-बहन

मतलबी रिश्तों से भरी इस दुनिया में दूसरों के लिए फरिश्ता बनना आसान नहीं होता. सिमडेगा के छोटे से गांव से निकले भाई-बहन आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.

By PRABHAT GOPAL JHA | June 15, 2025 10:37 PM
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रांची. मतलबी रिश्तों से भरी इस दुनिया में दूसरों के लिए फरिश्ता बनना आसान नहीं होता. सिमडेगा के छोटे से गांव से निकले भाई-बहन आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. अनीता मगदली एक्का और उनके छोटे भाई हिलेरियस एक्का आज अनाथ बच्चों और बुजुर्गों का जीवन संवारने की कवायद में जुटे हैं. दोनों का बचपन तंगहाली और संघर्षों में गुजरा, लेकिन जिंदगी जीने के जज्बे ने इन्हें नयी राह दिखायी. दोनों ने दूसरों की ज़िंदगी को संवारने का प्रण लिया. हुलहुंडू स्थित इनका वृद्धाश्रम और अनाथालय उम्मीद का केंद्र बन चुका है. यहां अनाथ बच्चों के लिए स्कूल और हॉस्टल है. वृद्धाश्रम में 10 वृद्ध महिलाएं भी रहती हैं.

बचपन में उठा पिता का साया

1988 में रांची से मुंबई गयीं, तो मिली

हिम्मत

भाई ने पढ़ाई पूरी कर शुरू किया अनाथालय

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