रांची. गलत कॉरपोरेट नीतियों का विरोध और आदिवासी अधिकारों के लिए आंदोलन तेज करने के आह्वान के साथ आदिवासी संघर्ष मोर्चा का दो दिवसीय राष्ट्रीय कन्वेंशन समाप्त हो गया. कन्वेंशन के आखिरी दिन जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर निर्णायक लड़ाई, संविधान की रक्षा, पेसा, सीएनटी-एसपीटी कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन और आदिवासी अधिकारों की रक्षा पर 15 सूत्री संकल्प पत्र को मंच से जारी किया गया. इस अवसर पर बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर देशभर से आये 17 राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्टों ने भी उनकी शहादत को नमन किया. वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह सम्मेलन भारत में आदिवासी अधिकारों की रक्षा और संविधानिक मूल्यों की पुनर्स्थापना एकजुट संघर्ष की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ है.
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