कुछ माह पहले स्थानीय लोगों और बच्चों ने एक लाख पोस्टकार्ड भेज कर लगायी थी गुहार
रांची में स्वर्णरेखा और हरमू नदी के संगम पर स्थित हैं 21 प्राचीन शिवलिंग
हरमू नदी का दूषित पानी इन पवित्र शिवलिंगों को प्रदूषित कर रहा है. इससे वे अपनी चमक और महत्व खोते जा रहे हैं. प्राकृतिक क्षरण, अतिक्रमण और प्रशासनिक उपेक्षा ने इन्हें बर्बादी के कगार पर धकेल दिया है. कभी श्रद्धा का केंद्र रहे ये शिवलिंग अब गुमनामी की ओर बढ़ रहे हैं. यह स्थिति न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करती है, बल्कि हमारी अमूल्य धरोहर के प्रति हमारी उदासीनता को भी दर्शाती है. इन शिवलिंगों का संरक्षण झारखंड के लिए जरूरी है.
शिवलिंग के आसपास फैली है गंदगी
अब नहीं लगता है मजमा
वर्षों तक यह स्थल श्रावण मास, महाशिवरात्रि और अन्य पर्वों पर धार्मिक गतिविधियों से गुलजार रहता था. आज स्थिति यह है कि कई शिवलिंग आधे से अधिक जलमग्न हैं, तो कुछ के पत्थर दरक चुके हैं. कहा जाता है कि यहां कालसर्प दोष का निवारण भी होता है. शिवलिंगों के चारों ओर कचरा फैला रहता है. इस कारण श्रद्धालु न के बराबर आते हैं. पूजा-पाठ भी बंद हो चुका है. परिसर में कोई पुजारी या देखरेख करने वाला नहीं है.मंत्री, विधायक और सांसदों को भी दी गयी है जानकारी
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