झारखंड को कब मिलेगा 1.36 लाख करोड़ बकाया? संयुक्त कमेटी के गठन से बढ़ीं उम्मीदें

झारखंड में कोयला खदानों पर बकाये के दावे के अध्ययन के लिए संयुक्त कमेटी गठित की गयी है. ये कमेटी 1.36 लाख करोड़ बकाये के दावे का आकलन करेगी. खनन प्रभावित जिलों के उपायुक्त, अपर समाहर्ता और महाप्रबंधक कमेटी में होंगे.

By Guru Swarup Mishra | March 2, 2025 6:53 AM
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रांची, मनोज सिंह-झारखंड में संचालित कोयला कंपनियों पर राज्य सरकार के बकाया दावा का आकलन के लिए संयुक्त कमेटी बनायी गयी है. संयुक्त कमेटी कोयला खदानवार राज्य सरकार के दावे का अध्ययन करेगी. 1.36 लाख करोड़ बकाये के दावे का कमेटी आकलन करेगी. कमेटी की रिपोर्ट के बाद भुगतान के मामले पर मंत्रालय और राज्य सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी बैठेगी.

झारखंड आए थे कोयला मंत्री


फरवरी के पहले सप्ताह में कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी झारखंड दौरे पर आये थे. उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. इसमें राज्य के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ कोयला कंपनियों के उच्च अधिकारी भी थे. इसमें राज्य सरकार ने 1.36 लाख करोड़ (संशोधित 1.41 लाख करोड़) बकाया भुगतान का मामला उठाया था. इसमें एक संयुक्त टीम बनाकर दावे का आकलन कराने पर सहमति बनी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने संबंधित खनन क्षेत्रों के जिलों के उपायुक्तों की अध्यक्षता में कमेटी बनायी है. कमेटी में जिले के अपर समाहर्ता और संबंधित कंपनियों के एरिया के महाप्रबंधकों को रखा गया है. इसके अतिरिक्त उपायुक्तों को यह अधिकार दिया गया है, कि अगर कमेटी में किसी अन्य को रखना चाहते हैं, तो रख सकते हैं. कमेटी को जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है.

राशि बढ़ी, अब 1.41 लाख करोड़ रुपये का दावा


कोल कंपनियों पर भूमि मुआवजा, वॉश्ड कोल रॉयल्टी और कॉमन कॉज के 1.36 लाख करोड़ के बकाया को संशोधित कर सरकार ने 1.41 लाख करोड़ रुपये कर लिया है. झारखंड सरकार का खान विभाग वॉश्ड कोल रॉयल्टी व कॉमन कॉज के तहत भेजे गये डिमांड नोट की राशि कोल कंपनियों से मांग रही है. खान विभाग द्वारा कुल 40242.75 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. जबकि भू-राजस्व विभाग कोल बेयरिंग एक्ट (सीबीए) के तहत कोल कंपनियों द्वारा किये गये भूमि अधिग्रहण के एवज में मुआवजा की मांग कर रही है. यह राशि मार्च 2022 तक 41142 करोड़ रुपये तय की गयी थी. इस रकम पर भूमि अधिग्रहण से लेकर मार्च 2022 तक केवल सूद की राशि ही 60 हजार करोड़ रुपये हो गयी है. सरकार ब्याज की रकम जोड़ कर भूमि अधिग्रहण मद में कुल बकाया 101142 करोड़ रुपये केवल मुआवजा मद में मांग रही है. जबकि राज्य सरकार के अनुसार, कोल कंपनियों पर कुल 141384.75 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है.

ट्रिब्यूनल ने भी संयुक्त कमेटी बनाने को कहा था


कोल ट्रिब्यूनल द्वारा पिछले वर्ष ही ज्वाइंट कमेटी बनाकर रॉयल्टी संशोधित करने की बात कही गयी थी. कमेटी ने स्थल निरीक्षण कर विभिन्न वॉश्ड कोलियरी की गणना की. वॉश्ड कोल पर रॉयल्टी की रकम 6029.75 करोड़ रुपये आयी. इसे ट्रि्ब्यूनल के पास भेजा जायेगा. वहीं, वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के कॉमन कॉज मामले में दिये गये आदेश पर सभी कोल कंपनियों की जांच की गयी. तब कोल कंपनियों पर 32 हजार करोड़ रुपये का डिमांड नोट भेजा गया था. इसके बाद इस मामले को लेकर कोल कंपनियां कोल ट्रिब्यूनल चली गयीं. वहां भी राशि संशोधित करने की बात कही गयी. इसके बाद खान विभाग ने नये सिरे से डिमांड नोट तैयार किया, तो राशि 32 हजार करोड़ रुपये से बढ़ कर 34213.42 करोड़ रुपये हो गयी.

सीसीएल ने अधिकारियों को दिया निर्देश


सीसीएल ने अपने अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकार को आकलन में पूरा सहयोग करें. राज्य सरकार के अधिकारी जो भी कागजात की मांग करते हैं, उसे पूरा करायें. संबंधित एरिया के महाप्रबंधकों को इससे संबंधित पत्र कंपनी स्तर से भेजा गया है.

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