रांची (प्रमुख संवाददाता). वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि राज्य में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 50 लाख है. राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी हरिजन वर्ग सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़ा हुआ है. भूमिहीन हरिजन मजदूरी कर जीविका चलाते हैं. सफाई कर्मचारी, चर्मकार, भुइंया व मुसहर जाति की स्थिति राज्य के आदिम जनजाति से भी बदतर है. उनके आर्थिक उत्थान के लिए चलायी जा रही योजनाएं मुर्गी, बकरी व सूकर पालन तक ही सीमित है. झारखंड में हरिजन वर्ग ठगा महसूस कर रहा है. श्री किशोर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर अनुसूचित जाति राज्य आयोग और अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद को पुनर्जीवित करने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में हरिजन वोट लेने के उद्देश्य से भाजपा शासन काल में अनुसूचित जाति आयोग गठित कर अध्यक्ष की नियुक्ति की गयी थी. लेकिन, किसी पदाधिकारी को पदस्थापित नहीं करने के काराण आयोग कभी क्रियाशील नहीं हो सका. वर्तमान में आयोग अस्तित्व में ही नहीं है. इसी तरह राज्य के हरिजन जाति के संरक्षण व सामाजिक-आर्थिक विकास की नीति तैयार करने के लिए अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद भी गठित की गयी थी. लेकिन, पिछले 17 वर्षों से यह परिषद कल्याण विभाग के फाइलों में ही दर्ज होकर रह गयी है. यह राज्य की अनुसूचित जाति के साथ क्रूर मजाक की तरह है. भाजपा ने हरिजन जातियों के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण से उपयोग करो और फेंक दो का सिद्धांत अपनाया. उन्होंने कहा है कि राज्य के हरिजन जाति के लोगों को इंडिया गठबंधन की सरकारा से बहुत उम्मीदें बंधी हैं. मुख्ख्यमंत्री अनुसूचित जाति राज्य आयोग व अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद को पुनर्जीवित करने का कष्ट करें.
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