
वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने दो से अधिक बच्चे पैदा करनेवालों के नगर निगम व नगर निकाय चुनाव नहीं लड़ने से संबंधित चुनाव नियमावली को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. दोनों पक्षों में जोरदार बहस हुई. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में नगर निगम व नगर निकाय चुनाव को लेकर नियमावली लागू की थी, जिसमें दो से अधिक बच्चे पैदा करनेवाले चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इस नियमावली को म्यूनिसिपल एक्ट-2011 के प्रभावी होने के एक साल बाद से लागू किया गया है, जो सही नहीं है. जब से यह नियमावली लागू की गयी है, अर्थात 2020 से इसे प्रभावी बनाया जाना चाहिए न कि भूतलक्षी प्रभाव से. अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि झारखंड म्यूनिसिपल एक्ट-2011, वर्ष 2013 से प्रभावी हुआ है. उसके एक साल 2014-2015 से चुनाव लड़ने से संबंधित 2020 की नियमावली को कैसे लागू किया जा सकता है. यह प्रावधान असंवैधानिक है. वहीं राज्य सरकार की ओर से प्रार्थी की दलील का विरोध किया गया. बताया गया कि इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फैसला कर दिया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी संजीव कुमार डे ने याचिका दायर कर सरकार की दो बच्चों से अधिक पैदा करनेवालों के नगर निगम व नगर निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करनेवाली वर्ष 2020 की चुनाव नियमावली को चुनाैती दी है.
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