बच्चों को यौन प्रताड़ना से बचाने को लेकर हुई कार्यशाला, विशेष ने रखे शोध के आंकड़े
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की झारखंड शाखा ने पहली बार की पहल
विशेषज्ञ बोले- प्रताड़ना के शिकार बच्चों की सही वक्त पर काउंसेलिंग जरूरी
रांची. बेंगलुरु से आये फॉरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगदीश एन ने कहा कि कच्ची उम्र में ही बच्चे प्रताड़ित होने लगते हैं. कुछ वर्षों पहले हुए शोध में पता चला है कि 71 फीसदी बच्चे घरों में ही यौन प्रताड़ना के शिकार होते हैं. चिंता इस बात की है कि बच्चों को यौन प्रताड़ना देनेवाले अधिकांश लोग नजदीकी परिवार के सदस्य ही होते हैं. बच्चे अपनों से प्रताड़ित होने की वजह से बोल भी नहीं पाते हैं. अगर कोई बाेलता भी है, तो उनकी सुनी नहीं जाती है. डॉ जगदीश रविवार को होटल रॉयल रिट्रीट में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स(आइएपी) की झारखंड शाख द्वारा आयोजित कार्यशाल को संबोधित कर रहे थे. कार्यशाला का विषय था- बच्चों में होनेवाली हिंसा की रोकथाम.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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