मैक्लुस्कीगंज (रांची), रोहित कुमार: कोयलांचल में कई जगहों पर दुर्गोत्सव का आयोजन भव्य तरीके से होता है. रांची के खलारी प्रखंड के मैक्लुस्कीगंज में दुर्गा पूजा का आयोजन पिछले 100 साल से होता आ रहा है. यहां सिंदूरखेला मुख्य आकर्षण होता है. बात 1920 की है जब मैक्लुस्कीगंज में सिंगल रेलवे लाइन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा कराया जा रहा था. उस निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर मजदूरों की आवश्यकता थी. उसी वक्त बंगाल से मजदूरों का एक समूह मैक्लुस्कीगंज पहुंचा और लंबे समय तक रेलवे लाइन निर्माण (बिछाने) जैसे अन्य कार्यों में लगा रहा. उन्हीं मजदूरों ने करीब 1924 में अमावस्या के दिन महालया के साथ बंगाली विधि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत की. देखते ही देखते मैक्लुस्कीगंज सहित आसपास के प्रबुद्धजनों ने आपसी सहयोग से आयोजन को भव्य रूप दिया.बंगाली समुदाय के मजदूरों ने मैक्लुस्कीगंज स्टेशन परिसर में तिरपाल से टेंट बनाकर दुर्गा पूजा शुरू की थी. बाद में दीपचंद अग्रवाल ने बीड़ा उठाया और फिर लपरा शिव मंदिर के निर्माण के बाद स्थानीय प्रबुद्धजनों ने आपसी सहयोग से शिव मंदिर परिसर में पूजा के आयोजन को भव्य रूप दिया.
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