झारखंड में ईडी ने फिर डाली दबिश, वन भूमि घोटाले को लेकर रांची, बोकारो समेत 15 ठिकानों पर मारा छापा

ED Raid In Jharkhand: ईडी ने वन भूमि घोटाले को लेकर झारखंड और बिहार के 15 ठिकानों पर छापा मारा है. लालपुर, कांके समेत राजधानी के कई इलाकों में छापेमापी जारी है.

By Sameer Oraon | April 22, 2025 8:54 AM
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रांची, आनंद मोहन: ईडी ने एक बार फिर झारखंड में दबिश डाली है. प्रर्वतन निदेशालय की टीम ने मंगलवार की तड़के सुबह लालपुर के राजबीर कंस्ट्रक्शन के हरिओम टावर पर स्थित कार्यालय और कंपनी के ठिकानों, कांके और हटिया के विभिन्न इलाकों में कंपनी के दफ्तर और उससे जुड़े लोगों के आवास पर छापा मारा है. जानकारी के मुताबिक झारखंड और बिहार के कुल 15 ठिकानों पर यह रेड पड़ी है. वन भूमि घोटाला मामले को लेकर यह कार्रवाई की गयी है.

बोकारो में भी पड़ी रेड

तेतुलिया वन भूमि घोटाला मामले को लेकर ईडी की टीम ने बोकारो में भी दबिश डाली है. कई जगहों पर छापेमारी चल रही है. उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट हेड किशोर किस्कू के घर, रैयत इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन के उकरीद स्थित घर, तेतुलिया में जमीन पर स्थित कार्यालय सहित अन्य जगहों पर रेड मारी जा रही है. तेतुलिया मौज स्थित खाता नंबर 59 प्लॉट नंबर 450- 426 के कुल रखवा एक एकड़ तीन डिसमिल जमीन फर्जीवड़े पर यह कार्रवाई की गयी है.

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सीआईडी भी कर रही है वन भूमि घोटाले की जांच

ये मामला बोकारो के तेतुलिया मौजा स्थित करीब 100 एकड़ वन भूमि का है. जहां भू-माफियाओं ने सरकारी अफसरों के साथ मिलकर इस खेल को अंजाम दिया. हालांकि झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर मामले की जांच सीआईडी कर रही है. बोकारो वन प्रमंडल के प्रभारी वनपाल सह वनरक्षी रुद्र प्रताप सिंह की शिकायत पर धारा 406, 420, 467, 4680 471, 120बी/34 व 30(सी)/63 फॉरेस्ट एक्ट के तहत सेक्टर-12 थाना में 18 मार्च 2024 को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

क्या है मामला

बोकारो वन भूमि घोटाले का मामला वर्ष 2022 का है. जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने कई गड़बड़ियां कर एक कंपनी को वन विभाग की 74.38 एकड़ जमीन दे दी थी. यह धनबाद जिला प्रशासन के उस मामले से जुड़ा है, जिसमें साल 2013 में तेतुलिया मौजा के चास थाना के सर्वे प्लॉट नंबर- 426/450 की भूमि को जंगल साल (वन विभाग की भूमि) की जगह पुरानी परती के रूप में प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद जब महेंद्र कुमार मिश्र ने सीएनटी एक्ट की धारा-87 के तहत अपनी मात्र 10 डिसमिल जमीन के लिए बोकारो इस्पात परियोजना प्राधिकार भारत सरकार के खिलाफ वाद- 4330/2013 दायर किया, तो इसमें बोकारो जिला प्रशासन की इंट्री हुई. महेंद्र मिश्रा ने भले ही मामला दायर किया, लेकिन वर्ष 2014 के बाद उन्होंने खुद को किनारे कर लिया.

प्रभात खबर ने ही किया था मामले का खुलासा

साल 2021 में प्रभात खबर ने ही मामले का खुलासा किया था. प्रभात खबर ने मार्च 2021 में ‘यूपी के आदमी ने बोकारो में खरीद ली 74 एकड़ वनभूमि, देखता रहा विभाग’ से खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद वन विभाग और जिला प्रशासन की नींद खुली और कार्रवाई शुरू हुई. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि किस प्रकार सरकार द्वारा बोकारो स्टील प्लांट को दी गयी वनभूमि की खरीद बिक्री हो रही है. इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन नाम के दो शख्स ने इसे अपनी जमीन बताते हुए बेच दिया था. वर्ष 1933 में पुरुलिया से नीलामी में यह जमीन डीड संख्या 191/1933 से खरीदी गयी थी. इसी डीड के आधार पर इजहार हुसैन और अन्य ने वनभूमि की जमीन बेची थी.

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