Ranchi News : मेरी प्रथम गुरु मेरी मां, जिसने मुझे संस्कारों की शिक्षा दी

प्रत्येक पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन गुरु पूर्णिमा का स्थान इनमें सर्वोपरि है.

By MUNNA KUMAR SINGH | July 10, 2025 12:54 AM
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प्रत्येक पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन गुरु पूर्णिमा का स्थान इनमें सर्वोपरि है. यह दिन केवल शैक्षिक गुरुओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाले उन सभी महान व्यक्तित्वों को समर्पित है, जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा दी. आज का दिन मेरे लिए अत्यंत विशेष है, क्योंकि आज ही के दिन मैंने अपने गुरु से गुरु मंत्र प्राप्त किया था. उनके असीम ज्ञान और आशीर्वाद के कारण मैं जीवन की प्रत्येक कठिन परिस्थिति का निडरता और धैर्य के साथ सामना कर पाती हूं. गुरु मंत्र का नियमित जाप मुझे मानसिक शांति और आंतरिक बल प्रदान करता है. गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों को आदर और सम्मान देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. मैं जो कुछ भी आज हूं, वह मेरे गुरुओं के आशीर्वचनों का ही परिणाम है. मेरी प्रथम गुरु मेरी मां स्व. गीता चक्रवर्ती रही हैं, जिनसे मुझे जीवन के मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा मिली. मेरे अहम गुरु मेरे ससुर जी डॉ सुधांशु शेखर गोस्वामी हैं, जिन्होंने मेरे भीतर छुपी हुई उन तमाम प्रतिभाओं को निखारा, जिन्हें मैं वर्षों से साध रही थी. गुरुओं के आशीर्वाद से ही मुझे न केवल विषयों की शिक्षा देने का सौभाग्य मिला, बल्कि नृत्य, सिलाई, चित्रकला व अन्य विद्याओं में भी शिक्षिका बनने का अवसर मिला. सादर नमन है उन सभी गुरुओं को, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं.

गोपा गोस्वामी, शिक्षिका, सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल

गुरु वह दिव्य आत्मा हैं, जिनके मार्गदर्शन से जीवन प्रकाशित है

भारतीय परंपरा में गुरु का विशेष महत्व है. गुरु की तुलना प्रकाश से की गयी है, क्योंकि वे अपने दिव्य ज्ञान से हमारे जीवन को आलोकित करते हैं. गुरु ही वह दिव्य आत्मा हैं, जिनके मार्गदर्शन से हम जीवन का महत्तम पद प्राप्त कर सकते हैं. मैं अपनी प्रथम गुरु, अपनी दिवंगत माता जी को सादर प्रणाम करती हूं. आज मैं जो कुछ भी हूं, जिस मुकाम पर हूं, वह मेरे सभी गुरुओं के पथ-प्रदर्शन और आशीर्वाद का ही प्रतिफल है. आज भी मैं अपने विद्यालय जीवन में सीखी गयी एक-एक सीख को अपने कर्म क्षेत्र में उतारने का प्रयास करती हूं. यह वही मूल्य हैं जो मेरे कार्य, व्यवहार और निर्णयों का आधार बनते हैं. विद्यालय जीवन ही वह आधारशिला है, जहां से आपके भविष्य का निर्माण आरंभ होता है. यही से आपके जीवन की रूपरेखा, आपके चरित्र का निर्माण और आपके विचारों की दिशा तय होती है. मैं विद्यार्थियों से यही कहना चाहूंगी कि वे अपने गुरुओं का सम्मान करें और उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का निरंतर प्रयास करें. यही उनके उज्ज्वल भविष्य की चाबी है. गुरु ही जीवन का वास्तविक पथदर्शक है.

आज जो कुछ भी हूं, वह गुरु के मार्गदर्शन और आशीर्वाद का ही परिणाम

डॉ सुरभि श्रीवास्तव, सहायक प्राध्यापक, प्रबंधन विभाग, रांची विमेंस कॉलेजB

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