सिर्फ इलाज नहीं, इंसानियत की जीत थी- डॉ इरफान अंसारी
उन्होंने बताया कि “छप्पन मोहाली के मामले में पूरा गांव मान चुका था कि वो नहीं बचेगा, लेकिन मैंने कहा- जब तक सांस है, तब तक आस है. छप्पन मोहाली का कश्मीर में बम ब्लास्ट में पूरा पेट फट गया था. हालात इतने गंभीर थे कि समाज, गांव और घरवालों ने मान लिया था कि अब उनका बच्चा नहीं बचेगा. सबने उम्मीद छोड़ दी थी- लेकिन मैंने नहीं छोड़ी. मैंने मौत से उसे खींचकर लाया, उसके जीवन को फिर से शुरू करवाया. और आज जब वो जिंदा है, मुस्कुरा रहा है, तो मुझे भीतर से संतोष और गर्व होता है. यह सिर्फ इलाज नहीं था, यह इंसानियत की जीत थी.
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भाजपा से मदद की उम्मीद करना बेकार है
मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि “लेकिन अफसोस इस बात का है कि ऐसे समय में जब इंसान को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब सत्ता के गलियारों में बैठे लोगों के दिल पत्थर हो जाते हैं. भाजपा वालों से मदद की उम्मीद करना बेकार है. उन्हें ना इंसान की पीड़ा दिखती है, ना इंसानियत की पुकार सुनाई देती है. इनके लिए पीड़ा भी ‘प्रचार’ है, और जरूरत भी ‘राजनीति’. हमने जिंदगी बचाई, हम जमीन पर थे, वो सोशल मीडिया पर. यही फर्क है एक संवेदनशील इंसान और सत्ता के दिखावे में.”
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