रांची. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की बैठक बुधवार को हुई. इसमें परिषद के पदाधिकारियों व सदस्यों ने आदिवासियों के प्रति सरकार के सौतेले व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की. परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि इस देश में आदिवासी प्रथम निवासी रहे हैं. इस बात को बुद्धिजीवियों और मानवशास्त्रियों ने भी स्वीकारा है. मुगल साम्राज्य से अंग्रेजी हुकूमत के समय में बोलचाल की भाषा में आदिवासी शब्द का उपयोग होता था. भारत की आजादी के बाद जब संविधान बना तब उसमें आदिवासी शब्द को विलोपित करते हुए उसकी जगह जनजाति शब्द लगा दिया गया. इससे आदिवासी समाज में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आदिवासी कौन हैं और जनजाति कौन है. परिषद के महासचिव जादो उरांव ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आदिवासी राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर हैं. बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष बाना मुंडा, महासचिव जादो उरांव, संयुक्त सचिव विमल कच्छप, अजय लिंडा, दीपक जायसवाल, जय बक्शी, प्रदीप कुमार आदि उपस्थित थे.
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