रांची (प्रमुख संवाददाता). पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सरकार विदेशी धर्म मानने वालों के दबाव में राज्य में पेसा कानून लागू नहीं कर रही. सरना समाज का मुख्यमंत्री होने के बावजूद राज्य का जनजाति समाज अपनी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था से वंचित है. हेमंत सरकार को डर है कि अगर पेसा कानून लागू हुआ तो उनकी सरकार गिर जायेगी. श्री दास बुधवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
कौन सी शक्ति पेसा लागू होने से रोक रही
रघुवर दास ने कहा कि जब सारी वैधानिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो फिर आखिर कौन सी शक्ति है जो इसे लागू होने से रोक रही है? कहा कि विदेश धर्म मानने वाले इस संबंध में लगातार भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे लोगों ने समिति बनाकर 2010 से 2017 तक कानून को चुनौती दी. कहा इसे पांचवीं अनुसूची वाले राज्य में नहीं, बल्कि छठी अनुसूची में लागू किया जाये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए पांचवीं अनुसूची के तहत लागू करने का आदेश दिया. कहा कि पेसा लागू होने से 112 अनुसूचित प्रखंडों में सारी योजनाओं का अधिकार आदिवासी समाज के पारंपरिक प्रधान को मिल जायेंगे. लघु खनिज, बालू , पत्थर पर उनका अधिकार होगा. इस कारण बालू पत्थर माफिया, सिंडिकेट भी इसे लागू होने देना नहीं चाहता. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन अविलंब पेसा नियमावली को कैबिनेट से पारित करा कर लागू कराना कराये. उन्होंने जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने वाले फॉर्म में धर्म का कॉलम, जिसे उनकी सरकार ने जोड़ा था. इसे फिर से लागू करने का अनुरोध किया, ताकि आदिवासी समाज की नौकरी, पेशा को कोई दूसरा छीन नहीं सके.
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