रांची के लोग भी कर रहे गड़बड़
रांची में 558 करोड़ की लागत से एलिवेटेड कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है, आज से इस पर गाड़ियां भी दौड़ने लगेगी. लेकिन, अधिकतर लोगों को एलिवेटेड कॉरिडोर के बारे में जानकारी ही नहीं है. अधिकतर लोग रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर को रातू रोड फ्लाईओवर कहकर ही संबोधित कर रहे हैं. लेकिन एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर के बीच बहुत बड़ा फर्क होता है. अगर आप भी एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर के बीच का फर्क नहीं जानते हैं, तो चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि ‘एलिवेटेड कॉरिडोर’ और ‘फ्लाईओवर’ के बीच क्या अंतर होता है. और दोनों एक दूसरे से कैसे और कितना अलग है.
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एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर में अंतर
आमतौर पर फ्लाईओवर की लंबाई बहुत अधिक नहीं होती है. जबकि एलिवेटेड कॉरिडोर काफी लंबा होता है. वहीं, दोनों के बीच सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि फ्लाईओवर किसी रेलवे लाइन, चौराहे या ट्रैफिक जाम वाले पॉइंट पर ट्रैफिक को ऊपर से निकालने के लिए बनाया जाता है. जबकि एलिवेटेड कॉरिडोर एक लंबी, ऊंची सड़क होती है जो आमतौर पर एक मुख्य सड़क के साथ-साथ चलती है, और इसका मुख्य उद्देश्य यातायात को सुगम बनाना और भीड़भाड़ को कम करना होता है.
उदाहरण के साथ समझिए
उदाहरण के साथ आप ऐसे समझ सकते हैं कि रांची के कांटाटोली और सिरमटोली में बनी संरचनाएं फ्लाईओवर हैं. वहीं, रातू रोड में बनी संरचना एक एलिवेटेड कॉरिडोर है. जैसा कि कांटाटोली फ्लाईओवर चौक के ऊपर बनाया गया है, जबकि सिरमटोली फ्लाईओवर रेलवे लाइन के ऊपर बना है. वहीं रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर एक मुख्य सड़क के ऊपर बना हुआ है.
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