Ranchi News : छोटी-छोटी बातें, लंबी हो जाती हैं…

हाल के वर्षों में झारखंड समेत देशभर में वैवाहिक विवादों के मामलों में लगातार इजाफा देखा जा रहा है.

By MUNNA KUMAR SINGH | July 20, 2025 9:02 PM
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जब तक मैं से निकलकर हम नहीं बनेंगे, तब तक परिवार नहीं बन सकता, वैवाहिक जीवन साझेदारी का नाम है, न कि एकतरफा सोच का.

विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसे निभाने के लिए धैर्य, समझदारी और विश्वास जरूरी है. यह साथ रहने के लिए है, अलगाव के लिए नहीं.

झालसा में बीते तीन महीनों में पति-पत्नी के अलगाव से जुड़े 27 मामले दर्ज किये गये, कुछ को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया गया.

वैवाहिक जीवन में दरार के प्रमुख कारण

आर्थिक तनाव : नौकरी, आय में असमानता या वित्तीय जिम्मेदारियों को लेकर असहमति रिश्तों में खटास ला सकती है.

विश्वास की कमी : पारदर्शिता की कमी, शक या भरोसे का टूटना वैवाहिक संबंधों में बड़ी दरार पैदा कर सकता है.

स्वाभिमान और अहं का टकराव : किसी एक पक्ष का हमेशा सही होने की जिद या समझौता न करने की प्रवृत्ति आपसी समझ को प्रभावित करती है.

समय की कमी : एक-दूसरे को पर्याप्त समय न दे पाना भावनात्मक दूरी का कारण बनता है.

पति-पत्नी में रिश्ते मजबूत करने के पांच ठोस उपाय

संवाद को दें प्राथमिकता

आर्थिक मामलों में सहभागिता और स्पष्टता रखेंपारिवारिक हस्तक्षेप को सीमित करें

झालसा की मध्यस्थता से टूटा रिश्ता फिर जुड़ा

केस स्टडी-02

अलगाव चाहने वाले पति-पत्नी बने एक

वैवाहिक मतभेदों से जूझ रहे गिरीडीह जिले के एक दंपती ने झालसा की मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से न केवल अपने रिश्ते को फिर से जोड़ा, बल्कि अपने बच्चों को एक बार फिर संपूर्ण परिवार का सुख दिया. करीब पांच से छह वर्षों से पति-पत्नी के बीच लगातार खटपट चल रही थी. दोनों एक बेटा और एक बेटी के माता-पिता हैं, लेकिन वैवाहिक तनाव इतना बढ़ गया था कि दोनों एक-दूसरे से अलगाव चाहते थे. मामला अदालत पहुंचा, जहां न्यायालय ने इसे झालसा को मध्यस्थता के लिए सौंपा. बच्चों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे मां-पिता दोनों के साथ रहना चाहते हैं. अंततः दोनों ने फिर से साथ रहने का निर्णय लिया.

रांची में आर्थिक तनाव और अविश्वास ने तोड़ा वैवाहिक रिश्ता

पति ने आरोप लगाया कि शादी के बाद निरंतर आर्थिक समस्याएं, आय को लेकर झगड़े और पारिवारिक हस्तक्षेप के चलते वैवाहिक जीवन असहज हो गया. पत्नी अब पति के साथ नहीं रहना चाहती. इस मामले को अदालत में प्रस्तुत किया गया. यह मामला उन तमाम विवाहित जोड़ों के लिए एक चेतावनी है, जो संवाद, विश्वास और जिम्मेदारियों के अभाव में रिश्तों को दरकिनार कर देते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान दिया जाए, तो कई बार ऐसे रिश्तों को टूटने से बचाया जा सकता है.

रांची के एक मामले में पत्नी का आरोप था कि उसका पति बच्चों का ध्यान नहीं रखता है. विवाहेतर संबंध भी है. मारपीट भी हो रही है. पति सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. ऐसे में वह अलग होना चाहती है. वहीं, पति का कहना था कि पत्नी अनावश्यक दबाव डालती है. उसे भरोसा और विश्वास नहीं है.

झालसा और न्यायालयों की भूमिका को जाने

जहां एक ओर वैवाहिक विवादों की संख्या चिंता का विषय है. वहीं, दूसरी ओर झालसा और न्यायालयों की मध्यस्थता प्रणाली नयी उम्मीद जगा रही है. ये संस्थान न केवल न्याय प्रदान कर रहे हैं, बल्कि टूटते रिश्तों को जोड़ने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. अगर संवाद हो, समझदारी हो और सही मार्गदर्शन हो तो कोई भी रिश्ता फिर से जीवंत हो सकता है.

वैवाहिक मामलों में झालसा की भूमिका

:::: गोपनीय और संवेदनशील प्रक्रिया : पीड़ित पक्ष खुलकर अपनी बात रख सकते हैं.

:::: बच्चों के हित में फैसला : बच्चों की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए समाधान निकाला जाता है.

निःशुल्क विधिक सहायता के लिए 15100 टोल फ्री हेल्पलाइन

यदि आप या आपके जानने वाले किसी वैवाहिक विवाद से जूझ रहे हैं, तो झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में टोल फ्री नंबर 15100 में संपर्क कर कानूनी सलाह या मुफ्त मध्यस्थता से संबंधित सहायता प्राप्त कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति, जो किसी वैवाहिक या अन्य कानूनी समस्या से जूझ रहा है. वह नालसा की टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 15100 पर भी कॉल करके नि:शुल्क विधिक परामर्श और सहायता प्राप्त कर सकते हैं.

झालसा की भूमिका को समझें

झालसा के माध्यम से राज्य भर में विशेषज्ञ और प्रशिक्षित मध्यस्थों की सेवाएं नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं. झालसा के मध्यस्थता केंद्रों में अब तक सैकड़ों वैवाहिक मामले सफलतापूर्वक सुलझाए जा चुके हैं. जहां दंपत्तियों को गोपनीय, सहायक और सम्मानजनक माहौल में बातचीत का अवसर दिया जाता है. उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों के सहयोग से समय-समय पर विशेष मध्यस्थता सत्र आयोजित किये जा रहे हैं.

कुमारी रंजना अस्थाना, सदस्य सचिव, झालसा

युवा पीढ़ी रुढ़िवादी सामाजिक मूल्यों को चुनौती दे रही है और आज अधिकतर महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, ऐसी परिस्थिति में वह दुखी या अपमानजनक रिश्तों में रहने या घुटने के बजाय अलग रहना ज्यादा पसंद करती हैं. बदलती जीवनशैली की वजह से रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है, जिसकी वजह से भी अलगाव की स्थिति पैदा होती है.

प्रकृति सिन्हा, क्लिनिकल सायकोलॉजिस्ट

वर्तमान समय में पति-पत्नी का संबंध तनाव ग्रस्त है. कारण स्थिति में बदलाव आना है. दोनों के बीच आयु का अंतर ज्यादा होने से विचारों का तालमेल नहीं बनता है. घर में आज के समय दोनों लोग नौकरी में हैं, जिसके कारण हुए व्यक्तिगत व व्यावसायिक स्थिति को तालमेल नहीं बना पाते हैं. बच्चों का स्वभाव परिवर्तन भी संबंध खराब होने का कारण है.

डॉ रश्मि, समाजशास्त्रीB

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