IPS Amarjeet Balihar Case: रांची, राणा प्रताप-नक्सली हमले में शहीद पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार के हत्यारों की फांसी की सजा के खिलाफ दायर अपील और सजा कंफर्म करने को लेकर सरकार की अपील याचिकाओं पर झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ में शामिल जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया है. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने सुखलाल और सनातन बास्की की अपील को स्वीकार करते हुए फांसी की सजा से उन्हें बरी कर दिया, जबकि खंडपीठ के दूसरे जज जस्टिस संजय प्रसाद ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी और शहीदों को मुआवजा देने और आश्रितों को सरकारी नौकरी देने का आदेश दिया.
फांसी के सजायाफ्ता की अपील खारिज, इन्हें नौकरी और मुआवजा
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने फैसले में कहा है कि पाकुड़ के तत्कालीन शहीद एसपी अमरजीत बलिहार के परिवार को 2 करोड़ मुआवजा, पुत्र या पुत्री को डीएसपी या डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने, शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार को 50- 50 लाख रुपए का मुआवजा और एक आश्रित को नौकरी देने का निर्देश दिया है. इन्होंने फांसी के सजायाफ्ता की अपील खारिज कर दी है.
अब चीफ जस्टिस के पास जाएगा यह केस
राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक विनीत कुमार वशिष्ठ ने झारखंड हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा था. वहीं दोनों सजायफ्ता की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र एस सिंह ने पक्ष रखा था. अपीलकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र सिंह ने बताया कि अब यह मामला झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास जाएगा. इसके बाद अलग बेंच बनेगा, जो इस मामले की फिर से सुनवाई करेगा.
नक्सली हमले में एसपी और पांच बॉडीगार्ड हो गए थे शहीद
2 जुलाई 2013 को पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार जब दुमका में पुलिस उपमहानिरीक्षक कार्यालय में आयोजित बैठक के बाद काठीकुंड के रास्ते वापस पाकुड़ लौट रहे थे. इसी दौरान घात लगाए नक्सलियों के हथियारबंद दस्ते ने उनके वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी थी. इसमें एसपी बलिहार के पांच बॉडीगार्ड (अंगरक्षक) शहीद हो गए थे. अमरजीत बलिहार ने इसके बावजूद अंतिम सांस तक मुकाबला किया, लेकिन वे नक्सलियों के सशस्त्र दस्ते से इस कदर घिर चुके थे कि इस घटना में वे शहीद हो गए.
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