धान का बिचड़ा तैयार कर सकते हैं किसान
किसान मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा हो, वे धान का बिचड़ा तैयार करे के लिए बीज स्थली तैयार कर सकते हैं. तीन-चार दिनों के अंतराल पर तीन-चार किस्तों में बीज डालें. इससे अलग-अलग जमीन पर अलग-अलग समय में धान की बुआई कर सकते हैं. जहां किसान धान की सीधी बुआई करते हैं, वे कम समय में तैयार होनेवाली किस्मों का प्रयोग कर सकते हैं.
ऊपरी जमीन को प्राथमिकता देते हुए करें जुताई
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जो किसान अभी तक अपने खेतों की तैयारी नहीं कर पाये हैं, वे मिट्टी में उपयुक्त नमी रहने पर खेत की जुताई ढाल के विपरीत कर लें. किसान ऊपरी जमीन को प्राथमिकता देते हुए जुताई करें. जो किसान खेतों में देसी खाद का प्रयोग करना चाहते हैं, वे जूते हुए खेत में खाद मिलाकर मिट्टी बिखेर दें. जिन खेतों में दीमक का प्रकोप है, वहां अंतिम तैयारी के समय नीम या करंज की खल्ली अच्छी तरह मिला दें.
वर्षा की अनियमितता का भी रखें ख्याल
वैज्ञानिकों की मानें तो खरीफ फसल की समय पर बुआई के लिए आवश्यकतानुसार उत्तम बीज, बीज का उपचारित करने के लिए फफूंदीनाशी दवा (वेभिस्टीन) का उपयोग करें. ऊपरी खेती में वर्षा की अनियमितता की संभावना देखते हुए अरहर, उरद, सोयाबीन, मड़ुआ, गुंदली या ज्वार की खेती कर सकते हैं. मध्यम जमीन में धान, मकई, मूंगफली या सोयाबीन की मध्यम अवधि वाले सीधी बुआई कर सकते हैं. बीएयू के रिसर्च एसोसिएट संजीव कुमार के मुताबिक मौसम के मिजाज को देखते हुए किसान काम करना शुरू करें तो यह अवसर है. मौसम के मुताबिक एक्सपर्ट जो सलाह देते हैं, उनको ध्यान में रखना बेहतर खेती के लिए आवश्यक है.