कभी निजी स्कूलों में नहीं पढ़ पाएंगे गरीबों के बच्चे : प्रदीप प्रसाद
इसके जवाब में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि सभी निजी विद्यालय स्वतंत्र हैं और पूरे विद्यालय संचालन का अधिकार केवल समिति को ही होता है. इस सवाल के जवाब में विधायक प्रदीप प्रसाद ने राज्य के गरीब अभिभावकों की समस्या को बताते हुए कहा कि अगर सरकार निजी स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस की सीमा तय नहीं कर पाती है तो गरीबों के बच्चे कभी निजी स्कूलों में नहीं पढ़ पाएंगे. उन्होंने कहा कि आखिर निजी स्कूलों में इतनी अधिक लग्जरी की क्या जरूरत है? सभी स्कूलों में केवल बढ़िया क्लासरूम, बाथरूम और उचित शिक्षा की ही आवश्यकता होती है.
उपायुक्त को करवानी चाहिए हर माह बैठक : बाबूलाल मरांडी
री-एडमिशन के मनमाना शुल्क वसूलने के मामले पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी कहा कि यह विषय काफी गंभीर है. निजी स्कूलों की फीस को लेकर न्यायाधिकरण बना हुआ है लेकिन इसके लिए जो बैठकें होनी चाहिए वह नहीं होती है. उपायुक्त को कम से कम हर महीने कमेटी की बैठक करवानी चाहिए. खासकर एडमिशन से पूर्व अनिवार्य रूप से एक बैठक करनी चाहिए. लेकिन, बैठकें न के बराबर होती है.
री-एडमिशन के नाम पर पैसा लेने वाले स्कूलों के खिलाफ करें शिकायत
वहीं, विधायक नवीन जयसवाल ने निजी विद्यालयों द्वारा मनमाना ढंग से ली जाने वाली री-एडमिशन शुल्क पर रोक लगाने की मांग की. इसके जवाब में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि, अगर कोई भी निजी स्कूल री-एडमिशन के नाम पर कोई शुल्क ले रहा है तो जिला स्तर की कमेटी में इसकी शिकायत करें. उन्होंने ऐसा करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई करने की बात कही है.
विसंगतियों पर रोक लगाने के लिए कानून की आवश्यकता
स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने भी मनामाना ढंग से ली जानी वाली फीस पर रोक लगाने का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इन सभी विसंगतियों पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से एक कानून बनना चाहिए. उनके इस जवाब का सभी विधायकों ने मेज पर हाथ पटक कर सराहना की.
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