Jharkhand DGP Appointment Controversy: झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई होगी. 24 जुलाई बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमति जतायी. याचिका में दावा किया गया है कि अनुराग गुप्ता की डीजीपी के पद पर नियुक्ति में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
30 और 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका देखने के बाद कहा कि मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 30 और 31 जुलाई को होगी. सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट अंजना प्रकाश ने कहा कि झारखंड के मौजूदा डीजीपी रिटायरमेंट के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता की अपील पर होगी सुनवाई
अंजना प्रकाश एक सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं थीं. उन्होंने दलील दी कि 3 जजों की पीठ को अदालत के पिछले निर्देशों के अनुपालन से जुड़े मामले की सुनवाई करनी थी. मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगले हफ्ते नियमित मामलों की सुनवाई के दौरान मामले की सुनवाई की जायेगी.
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30 अप्रैल को रिटायर होने वाले थे झारखंड के डीजीपी
झारखंड के डीजीपी अनुराग कुमार गुप्ता केंद्र सरकार के नियमों के तहत 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 30 अप्रैल 2025 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन राज्य सरकार ने उनके कार्यकाल को विस्तार देने के लिए केंद्र को पत्र लिखा. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के डीजीपी को कार्यकाल विस्तार देने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.
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6 सितंबर’24 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब
इससे पहले भी, झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) कगी सरकार ने आईपीएस ऑफिसर अनुराग कुमार गुप्ता की ‘तदर्थ’ (एडहॉक) नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. 6 सितंबर 2024 को शीर्ष अदालत ने एक अवमानना याचिका पर राज्य सरकार और अनुराग गुप्ता से जवाब मांगा था.
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हेमंत सोरेन सरकार पर लगा है अवमानना का आरोप
अवमानना याचिका में शीर्ष अदालत के वर्ष 2006 के एक फैसले और उसके बाद के निर्देशों का पालन न करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें पुलिस महानिदेशकों के लिए 2 साल का निश्चित कार्यकाल और यूपीएससी द्वारा तैयार राज्य के 3 वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों की सूची में से उनका चयन सहित कई पहलुओं को अनिवार्य किया गया था.
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