प्रार्थियों को राहत नहीं
बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता डॉ श्रीकृष्ण पांडेय, अधिवक्ता डॉ सत्यप्रकाश सिन्हा, अधिवक्ता अर्पण मिश्रा, निलाद्री शेखर मुखर्जी ने पैरवी की थी. इसके बाद फैसला सुनाया गया. इस मामले में प्रार्थियों ने अपनी नियुक्ति के लिए अदालत से उचित आदेश देने का आग्रह किया था. हालांकि, अदालत के फैसले में प्रार्थियों को कोई राहत नहीं मिली है.
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योग्य उम्मीदवारों का नहीं किया गया चयन
इस मामले में प्रार्थियों का कहना था कि वह लेक्चरर पद के योग्य हैं, लेकिन झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने उनकी नियुक्ति की अनुशंसा नहीं की है. नेट बेट एसोसिएशन की ओर से लेक्चरर नियुक्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए लेक्चरर नियुक्ति के लिए अनुशंसित सूची को रद्द करने का आग्रह किया था. इसे लेकर कहा गया कि योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं किया गया है. ऐसे में जेपीएससी की अनुशंसित सूची रद्द कर देनी चाहिए.
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जेपीएससी ने रखा अपना पक्ष
वहीं, जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि नियुक्ति की सीबीआई जांच चल रही है. इसी मामले में अपील याचिका भी लंबित है. अनुशंसित सूची पर अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डॉ मीरा सिन्हा, डॉ मीना कुमारी, झारखंड नेट/बेट एसोसिएशन व अन्य की ओर से अलग-अलग 19 याचिका दायर की गयी थी.
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