झारखंड हाईकोर्ट से राज्य सरकार को झटका, पुलिस गाड़ी से दो युवकों की मौत मामले में अपील खारिज

Jharkhand High Court News: झारखंड हाईकोर्ट ने पुलिस वाहन से सड़क दुर्घटना में दो युवकों की मौत मामले में सरकार की अपील खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में वेलफेयर स्टेट की भूमिका अहम है और सरकार को पीड़ितों को राहत देने के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए. वाहन पुलिस विभाग का था और उसका चालक ड्यूटी पर था. राज्य सरकार उसकी लापरवाही के लिए उत्तरदायी है.

By Guru Swarup Mishra | May 3, 2025 8:09 PM
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Jharkhand High Court News: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है. अदालत ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें दो युवकों की सड़क दुर्घटना में मौत के लिए मुआवजा देने के आदेश को चुनौती दी गयी थी. यह दुर्घटना 11 जुलाई 2013 को खूंटी जिले के पास घटी थी, जब एक बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की पुलिस की बोलेरो ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी. इससे दो युवक अमित आईंद (18 वर्ष) और रोशन गुड़िया (22 वर्ष) की जान चली गयी थी.

राज्य सरकार लापरवाही के लिए है उत्तरदायी-हाईकोर्ट


जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि जब वाहन पुलिस विभाग का था और उसका चालक ड्यूटी पर था, तो राज्य सरकार उसकी लापरवाही के लिए उत्तरदायी है. अदालत ने ब्रिटिश और भारतीय कानून के विभिन्न उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी मालिक अपने कर्मचारी की सेवा में की गयी लापरवाही के लिए उत्तरदायी होता है. भले ही आदेश सीधे ना दिया गया हो. अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में वेलफेयर स्टेट की भूमिका अहम है और सरकार को पीड़ितों को राहत देने के लिए स्पष्ट नीति बनानी चाहिए.

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ट्रिब्यूनल के आदेश को ठहराया सही-हाईकोर्ट


अदालत ने दोनों अपीलों को खारिज करते हुए ट्रिब्यूनल के आदेश को सही ठहराया. साथ ही आदेश की प्रति राज्य के मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया, ताकि सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मामलों में न्यायसंगत नीति पर विचार किया जा सके. यह मामला दो अलग-अलग मोटर दुर्घटना दावा याचिकाओं के माध्यम से ट्रिब्यूनल के समक्ष लाया गया था. दोनों मामलों में ट्रिब्यूनल ने पुलिस विभाग को जिम्मेदार मानते हुए प्रत्येक पीड़ित परिवार को 3,48,880 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिसमें 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी शामिल था. राज्य सरकार की ओर से इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि बोलेरो तेज और लापरवाही से नहीं चलाया गया था. इसमें पूरी तरह से पुलिस वाहन की गलती नहीं थी.

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