Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत नियमावली बनाने को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पक्ष सुना. खंडपीठ ने कहा कि पूछा कि जनहित याचिका में कोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को आदेश पारित कर पेसा नियमावली लागू करने के लिए राज्य सरकार को दो माह का समय दिया था. उसके बाद से अब तक पेसा नियमावली लागू क्यों नहीं हुई? क्या कार्रवाई की गयी? खंडपीठ ने राज्य सरकार को पेसा नियमावली लागू करने के लिए कब-कब क्या-क्या कार्रवाई की गयी है, उसकी विस्तृत जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने छह सितंबर की तिथि निर्धारित की.
2024 में हाईकोर्ट ने दिया था लागू करने का आदेश
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में ही दो माह के अंदर पेसा नियमावली अधिसूचित करने का आदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया था. कोर्ट ने कहा था कि संविधान के 73वें संशोधन के उद्देश्यों के अनुरूप तथा पेसा कानून के प्रावधान के अनुसार पेसा नियमावली बना कर लागू किया जाये, लेकिन वह अब तक लागू नहीं किया गया है. वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर करने के लिए बार-बार समय देने का आग्रह किया गया.
अवमानना याचिका की गयी है दायर
प्रार्थी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि 29 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में आदेश पारित कर राज्य सरकार को दो माह में पेसा नियमावली लागू करने का आदेश दिया था. अब तक राज्य के शिड्यूल एरिया में पेसा नियमावली को लागू नहीं किया गया है. प्रार्थी ने हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गयी थी कि पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जारी किया गया था, जिस पर आपत्ति व सुझाव लिया गया है. अब नियमावली को तैयार कर कैबिनेट की स्वीकृति ली जानी है.
क्या है मामला?
वर्ष 1996 में केंद्र सरकार ने पेसा कानून लागू किया था. इसका उद्देश्य राज्य के शिड्यूल एरिया में आदिवासियों के हितों की सुरक्षा करना था, लेकिन एकीकृत बिहार तथा झारखंड गठन से लेकर अब तक राज्य सरकार द्वारा कानून के तहत नियमावली नहीं बनायी गयी है. वर्ष 2019 तथा 2023 में नियमावली का ड्रॉफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन लागू नहीं किया गया. जब लागू नहीं किया गया, तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी.
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