Home Badi Khabar हरमू नदी के उद्‌गम स्थल पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट सख्त, RRDA से पूछा- अदालत के आदेश का इंतजार क्यों?

हरमू नदी के उद्‌गम स्थल पर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट सख्त, RRDA से पूछा- अदालत के आदेश का इंतजार क्यों?

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हरमू नदी के उद्‌गम स्थल पर अतिक्रमण मामले में  हाईकोर्ट सख्त, RRDA से पूछा- अदालत के आदेश का इंतजार क्यों?

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने रांची नगर निगम और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने में होनेवाली अवैध वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले के तहत हरमू नदी के उद्ग‌म स्थल के अतिक्रमण मामले में सुनवाई की. इस दौरान आरआरडीए उपाध्यक्ष से पूछा गया कि जब कोर्ट के संज्ञान में हरमू नदी के उदगम स्थल पर अतिक्रमण की बात आयी और कोर्ट के निर्देश पर एडवोकेट कमिश्नरों ने उस क्षेत्र का स्थल निरीक्षण किया था, तो उसके बाद आरआरडीए ने तुरंत उस क्षेत्र का सर्वे क्यों नहीं कराया? हर मामले में कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों किया जाता है? कोर्ट ने बजरा मौजा में नदी के उदगम स्थल के पास बने भवनों का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

मामले की सुनवाई जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने बुधवार को दो सत्र में की. पहले सत्र में सुनवाई के दौरान एडवोकेट कमिश्नरों द्वारा प्रस्तुत नदी के उदगम स्थल के अतिक्रमण की जांच रिपोर्ट को देखा. वहीं, आरआरडीए द्वारा पेश किये गये चार भवनों का नक्शा व रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद खंडपीठ ने आरआरडीए के उपाध्यक्ष अमित कुमार व टाउन प्लानर स्वप्निल मयूरेश को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया.

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रातोंरात नहीं बने होंगे मकान

दूसरे सत्र में मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से आरआरडीए उपाध्यक्ष से कहा कि नदी के पास जो भी मकान बने हैं, वह रातों रात नहीं बने होंगे. मकान बनने में समय लगा होगा. नदी के पास मकान कैसे बन गये. अतिक्रमण से नदी की चौड़ाई पर कितना असर पड़ा है, इसका भी सर्वे होना चाहिए था. अधिकारी को स्वयं अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. खंडपीठ ने पूछा कि नदी के आसपास कितने भवन बने हुए हैं और कितने अवैध हैं. इसके बारे में आरआरडीए की ओर से सर्वे क्यों नहीं किया गया? एडवोकेट कमिश्नरों के साथ टाउन प्लानर भी गये थे. इसके बावजूद आरआरडीए ने अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. खंडपीठ ने उस क्षेत्र का पहले और वर्तमान का गूगल मैप का एरियल व्यू भी पेश करने को कहा. खंडपीठ ने शिकायतकर्ता को जान से मारने की धमकी के मामले में राज्य सरकार से पूछा कि क्या अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन नाथ शाहदेव को सुरक्षा मुहैया करायी गयी है? इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि बॉडीगार्ड मुहैया करा दिया गया है. मामले की जांच की जा रही है. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.

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यह है मामला

हाइकोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नरों ने हरमू नदी के उदगम स्थल डीएवी हेहल के समीप निरीक्षण किया था. उस दौरान जिला प्रशासन व आरआरडीए के अधिकारी उपस्थित थे. इस दौरान पाया गया कि वहां कई मकान बने हुए हैं. नदी में पत्थर डस्ट भर कर अस्थायी सड़क बना दी गयी है. उससे भारी वाहनों का आवागमन हो रहा है. अतिक्रमण के कारण नदी की चाैड़ाई जो पहले 50 फीट से भी अधिक थी, वह सिमट कर लगभग 15-20 फीट रह गयी है. बाद में एडवोकेट कमिश्नरों ने हाइकोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. वहीं, शिकायतकर्ता अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन नाथ शाहदेव ने बताया कि नदी तट का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है. नदी की जमीन गैरमजरुआ प्रकृति की है. उस पर भी निर्माण हुआ है. इससे नदी की चौड़ाई कम हो गयी है.

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