CPM छोड़ने के बाद बिनोद बिहारी महतो के दिमाग में आया था नया संगठन बनाने का विचार, फिर ऐसे हुआ JMM का गठन

Jharkhand JMM News: झामुमो 14 और 15 अप्रैल को अपना महाधिवेशन मनाएगा. सबसे पहले बिनोद बिहारी महतो के मन में नया संगठन बनाने का ख्याल आया था. उसके बाद शिबू सोरेन, एके रॉय के साथ बैठक कर कैसे झामुमो बना यह कहानी उसी पर है.

By Sameer Oraon | April 13, 2025 2:09 PM
an image

रांची : झामुमो अपने दो दिवसीय महाधिवेशन की तैयारी में जोर शोर से लगा हुआ है. 14 और 15 अप्रैल को राजधानी रांची में इसे लेकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. देश के विभिन्न इलाकों से पार्टी से जुड़े प्रतिनिधि आयेंगे. शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और एके रॉय द्वारा खड़ा किया गया यह संगठन आज झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन क्या आपको पता है कि झामुमो का गठन क्यों और कैसे हुआ था. अगर नहीं पता है तो आज हम आपको इस बारे बतायेंगे. साथ यह भी बतायेंगे कि झामुमो की ताकत कैसे बढ़ती चली गयी.

बिनोद बिहारी महतो चलाते थे शिवाज समाज नामक संगठन

साल 1972 की बात है. बिनोद बिहारी महतो जो कि उस वक्त सीपीएम के एक बड़े लीडर थे, वह शिवाजी समाज के नाम से संगठन चलाते थे. यह संगठन कुड़मी समाज के लिए काम कर रहा था. दूसरी तरफ शिबू सोरेन उस वक्त आदिवासी सुधार समिति के बैनर तले अभियान चला रहे थे. इस वजह से आदिवासी समुदाय के बीच उनकी गहरी पकड़ थी. जबकि एके रॉय मजदूर संगठन से जुड़े हुए थे. झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा दिशोम गुरु शिबू सोरेन नामक किताब में लिखते हैं कि बिनोद बिहारी महतो और एके रॉय दोनों एक समय में सीपीएम से जुड़े हुए थे. बाद में किसी कारण वश बिनोद बिहारी महतो ने पार्टी छोड़ दी. जबकि एके रॉय को एक लेख ‘वोट एंड रिव्यूलेशन’ लिखने के चलते पार्टी से निष्काषित कर दिया गया.

Also Read: Shibu Soren Birthday: पिता की हत्या के बाद शुरू किया धनकटनी आंदोलन, फिर ऐसे बने दिशोम गुरु, जानें 3 बार के CM की कहानी

शिबू सोरेन पर दर्ज हो चुके थे कई मुकदमे

महाजनों के खिलाफ आंदोलन करने के चलते शिबू सोरेन पर कई मुकदमे दर्ज हो चुके थे. पुलिस उन्हें लगातार ढूंढ रही थी. बिनोद बिहारी महतो सीपीएम छोड़ने के बाद नयी पार्टी बनाने का सोच रहे थे. उसी वक्त उनके दिमाग में यह बात आयी कि क्यों न शिबू सोरेन और एके रॉय के साथ मिलकर एक नया संगठन बनाया जाए. पेशे से इंजीनियर रहे एके रॉय उस वक्त मजदूरों की आवाज उठाने के चलते लोकप्रिय हो चले थे.

कैसे पड़ा झामुमो का नाम

दूसरी तरफ शिबू सोरेन की आदिवासियों के बीच लोकप्रियता भी चरम थी. इसके बाद तय हुआ कि तीनों कद्दावर नेताओं की एक बैठक हो, जिसमें कुछ गिने चुने लोग ही शामिल हो. बैठक में नया संगठन बनाने का फैसला हो चुका था. बैठक में कई नाम सुझाव में आए. उसी वक्त वहां पर मौजूद लोगों के ध्यान में बंग्लादेश के निर्माण में लंबा संघर्ष करने वाला संगठन मुक्ति वाहिनी का नाम आया. दूसरी तरफ वियतनाम में भी उस वक्त संघर्ष चल रहा था.

बिनोद बिहारी महतो को सर्व सम्मति से चुना गया अध्यक्ष

सर्वसम्मति से फैसला हुआ कि दोनों जगहों के संघर्ष से जोड़कर नया संगठन का नाम झारखंड मुक्त मोर्चा रखा जाए. सभी की सहमति से बिनोद बिहारी को अध्यक्ष और शिबू सोरेन को महासचिव चुना गया. 4 फरवरी को 1973 को झामुमो ने अपना पहला स्थापना दिवस धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में मनाया. जहां न आदिवासियों के साथ गैर आदिवासियों ने बड़ी संख्या उस सम्मेलन का हिस्सा बने. लेकिन क्या आपको पता है कि कार्यक्रम से हर लोगों को लग रहा था कि शिबू सोरेन इस समारोह में शामिल नहीं होंगे. क्योंकि उस वक्त पुलिस उन्हें ढूंढ रही थी. लेकिन शिबू सोरेन न सिर्फ वहां शामिल हुए बल्कि भाषण भी दिया और फरार हो गये. चूंकि मंच में पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती थी. क्योंकि ऐसा करने पर कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रियाओं को संभालना मुश्किल हो जाता. कहा जाता है कि शिबू सोरेन की लोकप्रियता का आलम यह था कि उस सभा में दूर दराज से आदिवासी पैदल ही पहुंच गये थे. तब से लेकर आज तक झामुमो की ताकत बढ़ती चली गयी. कभी राज्य के कुछ हिस्सों में सिमटने वाली पार्टी आज झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी है.

Also Read: झारखंड के इन दो युवकों पर भगवान मेहरबान, रातों रात Dream 11 पर जीते करोड़ों रुपये

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Latest Ranchi News in Hindi : रांची के स्थानीय समाचार, इवेंट, राजनीति, एजुकेशन, मौसम, बिजनेस, रेलवे, प्रशासनिक खबरों की ताजा अपडेट के लिए प्रभात खबर से जुड़े रहें। यहां निष्पक्ष समाचार, लाइव रिपोर्टिंग, ग्राउंड रिपोर्ट, फैक्ट चेक के साथ खबरों की विश्वनीयता सुनिश्चित की जाती है। यहां पर प्रभात खबर के 100 से अधिक रिपोर्टर्स, संवाद सूत्र, एक्सपर्ट्स और विषय विशेषज्ञ की खोजपरक रिपोर्टिंग, लेख, फीचर, टिप्पणी भी आपको रियल टाइम में और मुफ़्त मिलती है।
रांची की चुनी हुई और महत्वपूर्ण खबरें भी पढ़ें । रांची मौसम: आज का सटीक और विस्तृत मौसम पूर्वानुमान ( मौसम ) यहां देखें।

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version