लेखक महादेव टोप्पो ने सुनायी आपबीती
लेखक महादेव टोप्पो ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब वे अपनी भाषा में लिखना शुरू कर रहा थे तो लोग कहते थे लोक भाषाओं की कविताओं को कौन पढ़ेगा ? आज स्थिति अलग है! झारखंड के कवियों की आवाज को भारत ही नहीं इसके बाहर भी लोग गंभीरता से सुन रहे हैं और उनके ज्ञान, उनकी जीवनशैली को गर्व से अपना रहे हैं.
इलानी पूर्ति बोलीं- कविता जीवन की गहराई से आती है
वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद महाविद्यालय की प्रो इंचार्ज इलानी पूर्ति ने कहा कि काया आदमी का होने से कोई मनुष्य नहीं होता है. कविता आदमी को मनुष्य बनाती है. कविता जीवन की गहराई से आती है. कवि यथार्थ जीवन में घटित घटनाओं को अपनी आंखों से देखता है. उनकी दृष्टि दूसरों से भिन्न होती है.
कवियों ने किया विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी कविताओं का पाठ
मौके पर झारखंड के विभिन्न राज्यों से आए कवियों ने हिंदी सहित झारखंड की विभिन्न क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं में अपनी कविताओं का पाठ किया. जिसमें विनोद कुमार (खोरठा), आशीष कुमार (हिंदी) , अनिमा तेलरा( बिरजिया), रतन कुमार महतो( कुरमाली), डॉ हेमंत टोप्पो ( कुडुख), डॉ प्रशांत गौरव (हिंदी), डॉ अमित कुमार (खोरठा), तिलक सिंह मुंडा (पंचपरगनिया), डॉ हाराधन कोइरी (पंचपरगनिया), सुचीत कुमार राय (खोरठा), डॉ जॉन कंडुलना( मुंडारी), डॉ ठाकुर प्रसाद मुर्मू (संताली), सुधीर साहू (नागपुरी), प्रो.फ्रांसिस मुर्मू (संताली), प्रो.आइजक कंडुलना(मुंडारी) प्रमुख थे. कार्यक्रम का संचालन संत जेवियर कॉलेज रांची के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ कमल बोस ने किया. वहीं, आभार ज्ञापन अंग्रेजी विभगाध्यक्ष डॉ ईवा मार्ग्रेट हंसदा ने किया.
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