झारखंड के बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षाबलों ने लहराया तिरंगा, नक्सलियों के कब्जे से मुक्त हुआ इलाका, देखें Pics

झारखंड-छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती बूढा पहाड़ की चोटी पर सुरक्षाबलों ने तिरंगा फहराया. इससे पहले MI हेलीकॉप्टर भी उतारा गया. इस मौके पर झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा ने सुरक्षाबलों की हौसला अफजाई करते हुए सम्मानित किया. वहीं, ग्रामीणों के बीच भी कई उपयोगी सामान वितरित किये.

By Samir Ranjan | September 18, 2022 6:38 PM
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नक्सलियों का सेफ जोन कहे जाने वाला झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों ने तिरंगा फहराया है. इससे पहले नक्सलियों के कब्जे से मुक्त होने के बाद शुक्रवार (16 सितंबर, 2022) को पहली बार MI हेलीकॉप्टर को उतारा गया. बूढ़ा पहाड़ पर तिरंगा फहराने के दौरान झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा ने सुरक्षाबलों की हौसला अफजाई करते हुए सम्मानित भी किया.

रविवार का दिन झारखंड पुलिस के लिए खास है. नक्सलियों के कब्जे से मुक्त बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों ने तिरंगा लहराया. इस मौके पर डीजीपी नीरज सिन्हा अन्य पुलिस अधिकारी और सुरक्षाबलों के साथ मौजूद थे. इस दौरान तिरंगा फहराकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. वहीं, डीजीपी ने सुरक्षाबलों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों को भी सम्मानित किया.

इस मौके पर डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि झारखंड पुलिस अन्य सुरक्षाबलों के साथ राज्य से नक्सलियों को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने इस कार्य में ग्रामीणों से भी सहयोग की अपील की. कहा कि नक्सलियों की सूचना पुलिस को दें. पुलिस लोगों की सहयोग के लिए हमेशा खड़ी है. पुलिस-पब्लिक के बीच समन्वय हमेशा होती रही. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन ऑक्टोपस की सफलता के बाद अब पुलिस की अगली प्राथमिकता पारसनाथ पहाड़ है. यहां से भी नक्सलियों को मुक्त करने का विशेष अभियान चलेगा. पारसनाथ की ऊपरी चोटी पर अब कैंप स्थापित किया जाएगा.

इधर, डीजीपी नीरज सिन्हा ने स्थानीय ग्रामीणों को भी कई सामान दिये गये. इस मौके पर उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए झारखंड पुलिस हमेशा खड़ी है. आपका भी हमेशा सहयोग जरूरी है.

30 साल से अधिक समय तक नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को झारखंड पुलिस ने पहली बार पूरी तरह से मुक्त करा लिया. शुक्रवार को बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर MG हेलीकॉप्टर को उतारा गया. इस मौके पर आईजी अभियान एवी होमकर ने बताया कि सुरक्षाबलों के इस इलाके पर कब्जा कर लेने के बाद बूढ़ा पहाड़ की इस चोटी पर कैंप स्थापित कर लिया गया है.

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