Jharkhand Weather: झारखंड के 21 जिलों में वज्रपात का खतरा, 24 साल में 3500 की मौत, मॉनसून में कैसे बचें?

Jharkhand Weather: झारखंड के बोकारो, रामगढ़ और गोड्डा को छोड़कर अन्य 21 जिलों में वज्रपात का खतरा है. देश में सात फीसदी वज्रपात से मौत झारखंड में होती है. 24 साल में करीब 3500 की मौत हो चुकी है. मॉनसून में इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइंस जारी की है.

By Guru Swarup Mishra | August 20, 2024 7:26 AM
feature

Jharkhand Weather: रांची, (मनोज सिंह/विपिन सिंह)-देश में वज्रपात से जितनी मौत होती है, उसकी सात फीसदी मौत झारखंड में होती है. राज्य में 24 साल में करीब 3500 लोगों की मौत बिजली गिरने से हो चुकी है. पूरे देश में जितनी बिजली गिरती है, उसमें सात फीसदी बिजली झारखंड में गिरती है. 10 साल पहले झारखंड के आठ जिले वज्रपात वाले स्केल-1 जोन में थे. वहीं, आठ स्केल-2 जोन में थे. इसमें तीन जिले और शामिल हो गये हैं. अब पूरे राज्य में 21 जिले वज्रपात को लेकर संवेदनशील जिलों में शामिल हो गये हैं. वज्रपात की संवेदनशीलता की दृष्टि से केवल बोकारो, रामगढ़ और गोड्डा ही बाहर हैं.

वज्रपात से 20 हजार से अधिक जानवरों की जाती है जान

वज्रपात से हर साल करीब 2500 लोगों की जान जाती है. इसके आठ गुना ज्यादा जानवरों की जान जाती है. इस हिसाब से करीब 20 हजार जानवर वज्रपात के शिकार हो जाते हैं. क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है.

प्रदूषण और मिनिरल्स हैं सबसे बड़े कारण

सीओपीसी के अध्यक्ष डॉ प्रोफेसर कर्नल संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि झारखंड में मिनिरल्स बहुत हैं. इनमें ऐसे धातु भी हैं, जो बिजली को खिंचते हैं. बिजली के लिए ये कंडक्टर का काम करते हैं. प्रदूषण के कारण वायु में कई प्रकार के खनिज होते हैं. ये भी बिजली खींचने काम करते हैं. तापमान में परिवर्तन के कारण भी बिजली गिरने की घटना बढ़ती है. पहाड़ी इलाका होने के कारण बादल धरती के बहुत करीब हो जाते हैं. बादल धरती से टकराते हैं, तो भी बिजली गिरती है. इसके अतिरिक्त झारखंड और ओड़िशा से बंगाल की खाड़ी भी सटी हुई है. इसका असर भी यहां होता है. इसके अन्य कारणों पर शोध चल रहा है.

80-85 फीसदी आबादी होती है ग्रामीण

झारखंड में वज्रपात या बिजली गिरने से सबसे अधिक मौत ग्रामीणों की होती है. खेत में काम करने या गांव से किसी काम के लिए बाहर निकलने वालों की मौत अधिक होती है. इसमें 70 फीसदी से अधिक आदिवासी समाज के लोग होते हैं.

अस्पतालों में डिफैब्रिलेटर रखने की अनुशंसा

भारत सरकार ने वज्रपात से होने वाली मौत की संख्या को कम करने के लिए डिफैब्रिलेटर (एइडी) रखने की अनुशंसा की है. इसको सदर अस्पताल के साथ-साथ सीएचसी और पीएचसी में रखना है. वज्रपात के दौरान व्यक्ति की ह्रदय गति रुक जाती है. वज्रपात से प्रभावित व्यक्ति को कुछ घंटों के अंदर इसकी सुविधा देने से प्रभावित व्यक्ति की जान बचने की संभावना 65 से 70 फीसदी तक रहती है. इससे भारत सरकार ने एंबुलेंसों में भी रखने का आग्रह राज्यों से किया है.

स्वास्थ्य विभाग ने भी जारी किया है अलर्ट

मॉनसून में वज्रपात से बचाव के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आम लोगों के लिए आवश्यक गाइडलाइन जारी की है. स्वास्थ्य संस्थानों में वज्रपात, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए आपातकालीन सेवा कार्ययोजना बनाने के लिए कहा गया है. ऊंची नुकीली संरचनाओं व पेड़ों पर वज्रपात की अधिक संभावना होती है. ऐसे स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गयी है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अभियान निदेशक ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर प्राकृतिक आपदाओं से बचाव को लेकर अस्पतालों में सुविधाएं देने के लिए कहा है.

दोपहर और शाम में सबसे अधिक होते हैं वज्रपात

जीवन रक्षक दवा की उपलब्धता सभी जिला अस्पताल तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रखने के लिए कहा गया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि पिछले दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों से वज्रपात से कई लोगों की मौत होने की सूचना मिली है. बताया गया कि दोपहर और शाम में वज्रपात सबसे ज्यादा होते हैं. टायर व रबर सोल के जूतों से बचाव नहीं हो सकता है. आकाशीय बिजली के गर्जन सुनायी देने के बाद कम से कम 30 मिनट तक सुरक्षित स्थान पर बने रहने की सलाह दी गयी है.

इन तरीकों से प्रभावित कर सकता है वज्रपात

डायरेक्ट स्ट्राइक : वज्रपात लोगों को सीधे स्ट्राइक कर सकता है. यह स्थिति अत्यंत घातक होती है.
संपर्क चोट : यह तब होता है, जब बिजली किसी वस्तु जैसे कार या धातु के खंभे से टकराती है, जिससे व्यक्ति स्पर्श कर रहा होता है. इससे व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो सकता है.
साइड फ्लैश : यह तब होता है, जब बिजली छिटक जाती है या किसी वस्तु से टकरा जाती है. जैसे कि व्यक्ति पर पेड़, खंभा आदि गिर जाये.

इन तरीकों से प्रभावित कर सकता है वज्रपात

ग्राउंड करंट : यह तब होता है जब बिजली जमीन से टकराती है और ग्राउंड करंट जमीन से होकर व्यक्ति को स्ट्राइक करता है.
स्ट्रीमर : जब वज्रपात हवा को चार्ज कर देता है, तो ऊर्जा प्रवाह या स्ट्रीमर जमीन के पास की वस्तुओं से ऊपर की ओर आ सकते हैं. कभी-कभी ये स्ट्रीमर लोगों के माध्यम से ऊपर की ओर जाते हैं, जिससे व्यक्ति को नुकसान होता है.
धमाके से चोट : बिजली के विस्फोटक प्रभाव के कारण व्यक्ति उस स्थल से दूर तक फेंका जा सकता है. इस कारण उसे गहरी चोट पहुंच सकती है.

Also Read: Kal Ka Mausam: निम्न दबाव का 3-4 दिन दिखेगा असर, कल झारखंड के 13 जिलों में होगी भारी बारिश

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Latest Ranchi News in Hindi : रांची के स्थानीय समाचार, इवेंट, राजनीति, एजुकेशन, मौसम, बिजनेस, रेलवे, प्रशासनिक खबरों की ताजा अपडेट के लिए प्रभात खबर से जुड़े रहें। यहां निष्पक्ष समाचार, लाइव रिपोर्टिंग, ग्राउंड रिपोर्ट, फैक्ट चेक के साथ खबरों की विश्वनीयता सुनिश्चित की जाती है। यहां पर प्रभात खबर के 100 से अधिक रिपोर्टर्स, संवाद सूत्र, एक्सपर्ट्स और विषय विशेषज्ञ की खोजपरक रिपोर्टिंग, लेख, फीचर, टिप्पणी भी आपको रियल टाइम में और मुफ़्त मिलती है।
रांची की चुनी हुई और महत्वपूर्ण खबरें भी पढ़ें । रांची मौसम: आज का सटीक और विस्तृत मौसम पूर्वानुमान ( मौसम ) यहां देखें।

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version